SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हरिपंसपुराणु [११] ओसारिय सयल-वि सई णिविट्ठ अक्खाडए हरि-हलहर पइट्ठ ते विण्णि-वि धवल-अधवल-देह णं सोहिय सावण-सरय-मेह गं अंजण-पवय-हिमगिरिंदणं वइवस-महिस-महा-मइंद णं जउणा-गंगा-णइ-पवाह णं लक्खण-राम पलंव-वाह णं इंदणील-रविकंत-कूड णं विसहर तक्खय-संखचूड णं असियपक्ख-सियपक्ख आय तं पुणु पडिवारा ते-ज्जि भाय कंदोट्ट-कमल-कूडाणुमाण जण-लोयणालि-चुंविज्जमाण चल्लंते चल्लइ सयल भूमि थक्कते थक्कइ तेहिं विहि-मि ८ घत्ता जेत्तहे परिसक्कइ कण्हु जहिं वलएउ वलुद्धरउ । तेत्तहे तणु-तेएं होइ रंगु वि कालउ पंडुरउ । [१२] दप्पुद्धर दुद्धर एत्तहे-वि उट्ठिय मुट्ठिय-चाणूर वे-वि णं णिग्गिय दिग्गय गिल्ल-गंड णं सासहो कंसहो वाहु-दंड अप्फोडिउ सरहसु सावलेउ रणु मग्गिउ वम्गित ण किउ खेउ जस-तण्हहो कण्हहो एक्कु मुक्कु उद्दामहो रामहो अवरु दुककु ४ सु-भयंकर-ढउकर-कत्तरीहिं णीसरणेहिं करणेहिं भामरीहिं कर-छोहेहिं गाहेहिं पीडहिं अवरेहि अणेयहिं कोडणेहिं ता वड्ड वार संकरिसणेण वेहाविउ दणु-दुइरिसणेण खर-णहर-भयंकर-पहरणेण णं वारणु वारण-वारणेण घत्ता हेलए जे समाहउ सोसे मुट्ठि-पहारें मुठियउ । किउ मासहो पोट्टल सव्वु जम-मुहे पडिउ ण उठियउ ॥ ९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy