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पंचमो संधि
[७], कइहि-मि दिणेहिं णरिंदाएसें
आइय देवय संदण-वेसें घुरुहुरंत-खुप्पंतेहिं चककेहि
रुदिम-संदाणिय-चंदक्केहि रहु सयमेव अ-वाहणु धावइ । थाणहो चलिउ महीहरु णावइ । सु-वि गोविंदे विका-सारे भागु कडत्ति णिधि-पहारे ४ अण्णहिं वासरे अइ-वलवतउ माया-वसहु आउ गजंतउ चलणुच्चालिय-सयल-वसुंधरु ढेकारव-वहिरिय-भुवणोयरु गुरु-सिंगग्गालग्ग-णहंगणु
भेसाविय-असेस-गोदुगणु पेक्खेवि रिठु विठु आरुट्ठउ वलेवि कंठु किउ पाराउट्ठउ
घत्ता गीवा-भंगे पदरिसियए संदाणिउ जाउ विसेसें। वंकोवलियए णीसरेवि गउ जीविउ कह-व किलेसे ॥ ९
[८] अण्णहिं दिवसे तुरंगमु धाइउ भग्ग-गीउ कह-कह-वि ण घाइउ अण्णहि वासरे वालु थणद्धन(१) दाम-गुणेण उलूखलु वद्धउ गय जसोय सरि सलिलहो जावहि पच्छले लग्गु जणदणु तावहिं । एक्कै गइ-विलासु परिवड्ढइ अवर-कमेण उल्लूखलु कड्ढइ ४ ... कंसाएसें पर-वल-गंजण
उप्परि पडिय णवरि जमलज्जुण. . ता मधुसूयणेण मज्झत्थे
एक्केकर एक्केक्के हत्थे भग्ग कडत्ति वे-वि गय णासेवि रूवई मायावियई पयासेवि अण्णहिं काले धूलि-पहाणेहिं जलहर-धारहिं मुसल-पमाणेहिं ८ लइउ गोठु आरुठ्ठ जणहणु गिरि उद्धरिउ दुधरु गोवद्धणु
घत्ता वडूढिय-पुण्ण-फलोदएण दणु-देह-दलण-अवियण्हें ।
दियहई सत्त स-रत्तियइं परिरक्खिउ गोउलु कण्हे ॥ १० पजा-३
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