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________________ [22] कृत छन्दोप्रन्थ 'स्वयम्भूच्छन्द' में दिये गये कुछ उद्धरण और नाम भोजकृत 'सरस्वतीकण्ठाभरण' में प्राप्त एकाध उद्धरण. हेमचन्द्रकृत 'सिद्ध हेमशब्दानुशासन' के अपभ्रंशविभाग में दिये गये तीन उद्धरण और कुछ अपभ्रंश. कृतियों में किया हुआ कुछ कवियों का नामनिर्देश | स्वयम्भू के पुरोगामियों में चतुर्मुख कवि स्वयम्भू की ही णी का एक समर्थ महाकवि था और सम्भवतः वह जैनेतर था । उसने एक रामायणविषयक ओर एक महाभारतविषयक ऐसे कम से कम दो अपभ्रंश महाकाव्यों की रचना की थी यह मानने के लिए हमारे पास पर्याप्त आधार हैं ।" उसके महाभारतविषयक काव्य में कृष्णचरित्र के भा कुछ अंश होना अनिवार्य था । कृष्ण के निर्देश वाले दो-तीन उद्धरण ऐसे है जिनको हम अनुमान से चतुर्मुख की कृतियों में से लिए हुए मान सकते हैं । किन्तु इससे हम चतुर्मुख शक्ति का थोड़ा सा भी संकेत पाने में नितान्त असमर्थ है । चतुर्मुख के सिवा स्वयम्भू का एक और ख्यातनाम पूर्ववर्ती था । उसका नाम था गोविन्द | 'स्वयम्भूच्छन्द' में दिये गये उसके उद्धरण हमारे लिए अमूल्य है । गोविन्द के जो छह छन्द दिए गए है, वे कृष्ण के बालचरितविषयक किसी काव्य में से लिए हुए जान पडते हैं । गोविन्द का नामनिर्देश अपभ्रंश की मूर्धन्य कवि त्रिपुटी चतुर्मुख, स्वयम्भू और पुष्पदन्त के निर्देश के साथ-साथ चौदहवीं शताब्दी तक होता रहा है । चौदहवीं शताब्दी के कवि धनपाल ने जो श्वेताम्बर कवीन्द्र गोविन्द को 'सनत्कुमारचरित' का कर्ता बताया है वह और स्वयम्भू से निर्दिष्ट कवि गोविन्द दोनों १. देखिये । रामसिंह तोमर सम्पादित 'रिट्ठणेमिचरिउ (द्वितीय खण्ड) की सामान्य सम्पादक की भूमिका, पृ. १० और आगे के । २. , ‘स्वयम्भूच्छन्द' ६–७५-१ मे कृष्ण के आगमन के समाचार मे आश्वस्त होकर मथुरा के पौरजनों ने धवल ध्वज फहराएं और इस तरह अपना कर्ण और हृदयभाव व्यक्त किया ऐसा अभिप्राक है । ६-१२२ - १ में कृप, कलिंगराज को एवं अन्य सुभर्टी को पराजित करके अर्जुन कृष्ण से जयद्रथ का पता पूछता है ऐसा अभिप्राय है । इनके अलावा ३-८-१ और ६-३५-१ में अर्जुन का निर्देश तो हैं किन्तु उसके साथ कर्ण का उल्लेख नहीं है: और न कृष्ण का ही । इसकी चचां के लिये देखिवे उपर्युक्त संदर्भ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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