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विंधण - सोलड भारणड कंचणमालहे वच्छयले
पक्खोडइ णीवी - बंधणडं
- दरिसावइ वम्मह - घर - सिहरु आमेल गिoes दप्पणउं
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- गले रसणा-दामु परिट्ठविर - कमे कंठउ पुट्ठिद्दे कण्णरसु -परिचितइ दंसणु अहिलसइ जरु पेल्लइ मेल्लइ डाहु ण-वि 'णिरवज्ज-लज्ज परिहरइ मणे
तो विरह - वेय- विद्दाणियए जं सुंदरु एत्थु मज्झु घरहो पणवेपणु सहयरि विण्णवइ जो तर वल्लरिहे रक्ख करइ कोक्किउ कुमारु तं मणे धरेवि "जं पेसणु देव किंपि मई अणहि दिणे पsिहकारियड कच्छिउ ओरे सरु सुहय लहु
घन्ता
सहि-सत्थे पंचमु गाइयउ । वम्महेण णाई सरु लोइयउ ||
खणे उप्पज्जइ कलम लड वाहि उखी भंगिक-वि
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हरिवंस पुराणु
[ ३ ]
ढिल्लारएं करs पइंधणउं रोमावलि -तिवलि - थणद्ध-यरु सय-वार णिहालइ अप्पणउं करे उरु कंकणु कण्णे किउ मुद्दे अंजणु लोयणे लक्ख -: - रसु दीहरउ पुणु - वि पुणु णीससइ आहार-भुति ण सुहाइ - वि उम्माहेहि भज्जइ खणे जे खणे
घन्ता
खणे मणु उल्लोलेहिं धावइ । एक्कु त्रि उसहु ण पहावइ ॥
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सहि का वि पपुच्छिय राणियए तं किम्महु किय कासु-वि परहो कच्छउ कच्छिय हे जे संभवइ अवसाणे तहे जे फलु उवयरइ पण्णन्ति समृपिय पिउ करेवि तं पडिवजेवरं सयलु पई पल्लं कोवरि वइसारियउ एक्कसि आलिंग दे महु
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