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________________ २४८ अमितगतिविरचिता वितीर्णा पाण्डेवे कुन्ती विज्ञायोन्धकवृष्टिवा । गान्धारी धृतराष्ट्राय दोषं प्रच्छाद्य धीमता ॥४५ इत्यन्यथा पुराणार्थी व्यासेन कथितो ऽन्यथा । रागद्वेषग्रहग्रस्ता न हि बिभ्यति पापतः ॥४६ युक्तितो घटते यन्न तद् ब्रुवन्ति न धार्मिकाः । युक्तिहीनानि वाक्यानि भाषन्ते पापिनः परम् ॥४७ संबन्धा भुवि दृश्यन्ते सर्वे सर्वस्य भूरिशः । तृणां वापि पञ्चानां नैकया भार्यया पुनः ॥४८ सर्वे सर्वेषु कुर्वन्ति संविभागं महाधियः । महेला संविभागस्तु निन्द्यानामपि निन्दितः ॥४९ व्यासो योजनगन्धाया यः पुत्रः स परो मतः । धन्याया राजकन्यायाः सत्यवत्याः पुनः प्रियः ॥५० ४५) १. पाण्डु । २. कुन्तीस्वरूपं ज्ञात्वा । ३. दत्ता । कुन्ती के उपर्युक्त वृत्तको जानकर उसे बुद्धिमान् अन्धकदृष्टि राजाने उस दोपको छिपाते हुए पाण्डुके लिये प्रदान कर दिया - उसके साथ उसका विवाह कर दिया। साथ ही उसने गान्धारीको धृतराष्ट्र के लिए भी प्रदान कर दिया || ४५|| इस प्रकार पुराणका वृत्तान्त तो अन्य प्रकार है, परन्तु व्यास ऋपिने उसका निरूपण अन्य प्रकारसे - विपरीत रूपसे - किया है । ठीक है - जो जन राग व द्वेषरूप पिशाचसे पीड़ित होते हैं वे पापसे नहीं डरा करते हैं || ४६ ॥ जो वृत्त युक्तिसे संगत नहीं होता है उसका कथन धर्मात्मा जन नहीं किया करते हैं । युक्तिसे असंगत वाक्योंका उच्चारण तो केवल पापी जन ही किया करते हैं ||१७|| Jain Education International लोकमें सबके सब सम्बन्ध बहुत प्रकारके देखे जाते हैं, परन्तु एक ही स्त्रीसे पाँच भाइयोंका सम्बन्ध कहीं पर भी नहीं देखा जाता है ||४८|| इसी प्रकार सव ही बुद्धिमान् सबके साथ द्रव्यादिका विभाजन किया करते हैं, परन्तु atar विभाजन तो नीच जनोंके द्वारा भी निन्दनीय माना जाता है ॥४५॥ जो व्यास योजनगन्धाका पुत्र था वह भिन्न माना गया है और प्रशंसनीय सत्यवती नामकी राजकन्याका पुत्र व्यास भिन्न माना गया है ॥५०॥ (४५) अ वह्निना । ४६ ) क इ बिभ्यन्ति । ४७ ) व कथं for परम् । ४८) वि सर्वे सर्वेण; अइ महिला | ५०) ब क ड इ पुनः परः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001425
Book TitleDharmapariksha
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorBalchandra Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages409
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & religion
File Size24 MB
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