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________________ 373 175 184 P. L. शुद्धः पाठः ____P. L. शुद्धः पाठः 174 24 प्राकाश्ये, 179 34 कंसारणमित्यादि 17431 यथोक्तान 179 37 तानि पौण्डरीकाण्यभि 174 32 समुद्विजस्तत्प्रा 179 39 त्सयाह-जाइमित्यादि । यानि 174 34 परिहारिणा [प्र.] 180 8 तद्यथा-प्रौदयिके 1754 पत्तयपोत्थग 180 10 तिचतुर्दश 175 10 णवणलिणि° 181 से एवमायाण[ह-प्र०] जमहं भयंतारो 175 10-11 सललियगइविक्कमो [प्र०] त्ति तदेतदेवं जानीत 175 18 निरुक्त [प्र.] 182 11 प्रतिरूपतरमिति 175 19 मीलिता यस्यां [प्र.] 183 1 पौण्डरीकान् 175 19 सामुद्रेण छन्दसा या निबद्धा 183 7 मध्यदेशात त्वमुत्पतोत्पत 175 25 वर्णना भणिता 183 16 वंदंति कायेन 26 °धानमिदमध्ययनं 4 प्रारभाराख्यभूभागो 176 3 भिक्षुरिति । 185 23 कुलंघा य [प्र.] 176 + कायश्च सन् 185 24 जेसु ण णज्जंति 176 6 इति वा वाच्यः 185 25 ते तथा, एके 176 10 द्वन्द्वोऽधिक. 185 32 पर्षद् भवतीति 176 11-12 मतिमृषावादः 186 5 पूर्वस्वभा' 176 31 पतनमतिपातः [प्र.] 186 6 नीयतेऽसो 17633 मायां परव' 186 8-9 स्मापि शरीरा [प्र.] 176 37 विरोधिनः साव॰ [प्र.] 186 11 ते नव विप्रति° 177 1 शब्दप्रवृत्ति [प्र०] 186 16-17 तथा केनापि प्रकारेणासंवेद्यमानोऽपि 177 17 तया च सदैकक एव । तत्रो [प्र.] 186 34 सुकृतं वा दुष्कृतं वा 177 18-19 यदि वैकान्तेन विदितसंसार [प्र.] 1876 प्रगल्भेन 17721 समितिभिः समितः सम्यगितः प्राप्तो [प्र०] 187 15 प्रतियन्तः 17735 भवन्ति, यतः सर्वेऽप्येते 187 19 पूजयामि 1786 गाथाषोडशाख्यं षोडशम 188 13 णत्थित्थदोसो 17831 खलुववज्जिउकामो पुंडरीएसु 188 31 मनुष्यामराः, 1793 विधद्रव्यं सचित्तमहत् [प्र.] 18833-34 प्रधानरूपापन्नः 179 12-13 °भ्यासः, अन्योन्याभासे तु द्विरूपोने सति [प्र.] 188 40 हान् ततोऽह 179 16 णाम ठवणेत्यादि, 189 9 खरशृङ्गादे [प्र०] 179 17 जो जीवे इत्यादि 189 10 एवमेवाह [प्र०] 20 एगभविए य इत्यादि 18 से किरणमित्यादि 179 25 तेरिच्छेत्यादि 190 26 स्थित्वा प्रवृत्ते 179 27 °दय इत्येतत् प्रतिपादयन्नाह इत्येवमन्येऽपि 190 30 पुरुषप्रस्तावे [प्र.] 179 27 °स्ते पौण्डरीका। 191 प्रचुरमुदकमुदकपुष्कलं [प्र.] 17932 भवणवईत्यादि 191 27 इत्येवं सद्विवेक [प्र.] 17933 इन्द्र-सामानिकादयस्ते 19130 प्रवर्तयते 179 10 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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