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________________ 369 129 130 32 125 126 P. L. शुद्धः पाठः P. 122 3 इदं वा संयमयात्रादिकं 122 12 अणुवीय वियागरे 129 122 21 भाषमाणोऽभाषमाणो वा मातृस्थान 129 122 23-24 सा च किञ्चित् सत्यं किञ्चिन्मषा इत्येवं रूपा 129 122 33 काश्यपसगोत्रो वशिष्ठसगोत्रो 129 122 38 तत्संसर्गे दोषोबिभाव 129 122 39 प्रादुष्षन्ति 130 123 3 °षजन्तीति एतद् विद्वान् 123 12 वट्टक- कन्दुकादिका [प्र.] 130 123 18 संयमे गच्छेत् 130 123 अप्रमत्तः 130 125 22 अणुवीय 131 125 अत्रासाधारण [प्र.] 131 33 परिगृह्यते 131 126 4 यस्यासावनिदानभूतः 131 131 9 र्यक् च क्रियते 126 131 17 तां वितीर्णः 126 20 स्वात्मतुलः 132 126 30 ०श्चेत्यर्थः, एवम्भूतः 126 36 वित्ती वि 132 127 2 सत्सु तेषु वा पृथिव्यादि 132 127 ___4 सामान्य[तो] दृष्टेना 133 127 17 अवगततत्त्वः चतुर्विधेऽपि ज्ञानादिके समाधौ 133 ऐकान्तिकात्यन्तिकसुखोत्पादके रतो 127 133 18 मार्गे आत्मा यस्य स तथा 134 127 19 ठियच्ची त्ति [प्र०] 134 26 °माधाकृतमाधाकर्मेत्यर्थः 134 12727-29 सरति चरति वा, तच्छीलश्च स तथा स एव 134 134 128 2 ततस्तस्मात् 134 128 6 छंद ण कुज्जा 128 9 यत् परात्मनोरुभयोर्वा 135 128 20 परोऽपि 128 21 प्रमोक्षः 135 129 6 मेवावबुध्यते 135 8 मोक्षसद्भावम् आदिशन्ति 135 L. शुद्धः पाठः 22 पकुर्वन्ति खण्डशः [प्र०] 23 जाया बालस्स 24 तया प्रगल्भतया 25 स्तमायुष्कक्षयमारम्भप्रवृत्तः 34 पशवो ये गोमहि 38 पाजितं 19 भूए य परि० 20 व्रजेत् परिव्रजेदिति 26 ण सि च्छलियो 31 विमुक्तवद् विमुक्तः 32 कीतिर्न तद्गामी 12 लताबलेन 16 बस्तेन 17 सुवर्णभूमि 17 भारण्डा [प्र०] 32 कारणिको 33 गृहस्थाश्च चरम 2 स्तैरेव च 7 भवन्ति किं पुन 8 प्रशस्तशास्तृप्र॰ [प्र०] 17 सम्यग्दर्शनज्ञानयो' 39 पृच्छकः 7 पडिसाहेज्ज त्ति 22 कर्मकवचविप्रमुक्ताः 32 पृथक् पृथक् प्रत्येक 5 अकंतदुक्खा 14 अपरप्रेरितानियत 27 च्छान्तिर्वर्तते 29 शान्तिः उपशमः शान्तता [प्र.] 29 दुपशान्तरूपो [प्र०] कुर्यात् न कस्यचिदप्यपकुर्यात् 1 द्वारनिरोधेन 5-6 भविष्यन्ति च भूतानि प्राणिनः, तानि भूतानि समारभ्य 6 यत् कृतं यदुपक' 12 °द्धर्मोद्देशेन 13 नास्ति वेत्येवं 132 132 32 135 129 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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