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________________ 329 50 224 P. L. सूत्रम् 356 जे दीहलोगसत्थस्स...... 36 13 जे पमत्ते गुणट्ठीए...... 140 7 जे पुन्बुट्ठाइ' नो पच्छानिवाई...... 191 27 जे भिक्खू अचेले परिवुसिए....... 18837 जे भिक्खू एगेण वत्थेण...... 185 1 जे भिक्खू तीहिं वत्थेहिं...... 187 6 जे भिक्खू दोहिं वत्थेहिं 15 जे ममाइयमइ जहाइ 31 जेहिं वा सद्धि संवसति....... 84 1 तओ से एगया रोगसमु०...... 17 19 तत्थ खलु भगवता परिणा...... 39 तत्थ खलु भगवया परिण्णा ...... 13 तत्थ तत्थ पुढो पास...... 31 तमेव सच्चं नीसंक...... 25 तं आइत्तु न निहे न निक्खिवे...... 4 तंजहा पुरथिमायो...... 10 तंजहा सोयपरिण्णाणेहि...... 41 21 तं णो करिस्सामि समुट्ठाए.'' 1603 तं परिक्कमंतं परिदेवमाणा..... 17 तं परिण्णाय मेहावी...... 27 तं परिण्णाय मेहावी ..... 10 तं भिक्खू सीयफास....... 2 तं सुणे ह जहा तहा संति पाणा...... 9 तं से अहिआए....... 32 तिविहेण जावि से तत्थ...... 150 23 तुमंसि नाम सच्चेव जं...... 282 4 तेणं० समणे० नाए नायपुत्ते 280 39 तेणं० समणे० पंचहत्थुतरे..... 96 26 दुव्वसु मुणी प्रणाणाए...... 89 21 दुहम्रो छेत्ता नियाइ ...... 113 दुहनो जीवियस्स परिवंदण. 18232 धम्ममायाणह पवेइयं....' 177 8 धुवं चेयं जाणिज्जा ....... 81 18 नत्थि कालत्सऽणागमो...... 168 4 नममाणा वेगे जीवियं ...... .47 27 निज्झाइत्ता पडिले हित्ता...... P. L सूत्रम् 129 19 नित्तेहिं पलिच्छिन्नेहिं 153 1 निद्देसं नाइवट्ट ज्जा.... 167 36 नियट्टमाणा वेगे...... 29 25 पणया वीरा महावीहिं..... 18 पमत्तेऽगारमावसे...... 277 16 परकिरियं अज्झत्थियं...... 27 पहू एजस्स दुगुंछणाए ..... 39 पंतं लूहं सेवंति...... 134 22 पासह एगे रूवेसु गिद्ध ...... 104 5 पासिय पाउरपाणे...... 32 15 पुढो सत्थेहि विउदृन्ति...... ll पुणो पुणो गुणासाए".... 159 6 बहुदुक्खा हु जन्तवो ..... 6 · भिक्खागा नामेगे एवमाहंसु...... 237 14 भिक्खागा नामेगे एव० समाणे...... 237 31 भिक्खागा नामेगे एव० समाणे...... 182 1 भिक्खुच खलु पुट्ठा वा..... 7 मज्झिमेणं वयसावि...... 23 मंदस्सावियाणो ...... 22 लज्ज. अगणिकम्मसमा... 30 20 लज्ज. उदयसत्थसमा०...... लज्ज० तसकायसमारं० 43 22 लज्ज. वणस्सइकम्मसमा०..... 3 लज्ज वाउकम्मसमारंभेणं...... 40 लद्ध आहारे अणगारो..... 37 लापवियं पागममाणे...... 32 लोगं च आणाए अभिस०...... 102 21 लोयंसि जाण अहियाय 160 29 वत्थं पडिग्गहं कंबलं...... 37 वयसावि एने बुइया..... 76 29 विणावि लोभं निक्खम्म...... 1485 वितिगिच्छसमावन्नेणं...... ____ ll विमुत्ता हु ते जणा 164 40 विरयं भिक्खु रीयंत...... 35 42 वीरेहिं एवं अभिभूय दिट्ठ....... 10837 सच्चंमि घिई कुव्वहा...... 158 185 143 20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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