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________________ प्राचाराङ्गन्सूत्रस्य शीलाचार्यविरचितवृत्तावुद्धताः पाठाः 11 P L. उद्धृतः पाठः 143 18 अक्कोसहणणमारण...... 12 अच्चाहारो न सहे...... 150 20 अच्छेद्योऽयमभेद्योऽय...... 16 अज्ञानान्धाश्चटुलवनितापाङ्ग 75 35 अज्ञानं खलु कष्टं...... 16 अज्ञो जन्तुरनीशोऽय..... 76 24 अडइ बहु वहइ भर...' 3 36 अणसणमूणोयरिया....... 4. 2 अणिगूहियबलविरिप्रो...... 6 अणुब्वयमहव्वएहिं य..... 12 28 अतर्कितोपस्थितमेव सर्व....... 148 37 अत्थि णं भंते समणा'..... 178 14 अदितिः सुरसङ्घानां...... 45 35 पद्धतेरस बारस..... 68 37 श्रद्धा जोगुक्कोसे' ... ' 9 अन्ने के पज्जाया'..... 5 9 अन्ने केवलगम्म त्ति.... 1673 अन्यः स्वेच्छारचितान्...... 144 ll अपकारिणि कोपश्चेत् ..... 65 35 अप्पं बायर मयं..... 38 अप्पग्गंथमहत्थं..... 113 1 अप्येकं मरणं कुर्यात् ..... 152 32 अब्रह्मचर्यरक्तर्म है........ 123 22 अभिषेचनोपवासब्रह्मचर्यगुरुकुलवास...." 203 23 अयं णं भंते जीवे पुढविकाइयत्ताए......" 64 2 अरिहंतसिद्धचेइय..... 648 अरिहंतादिसु भत्तो...... 79 25 अवमानात् परिभ्रशाद्...." 17 अवि अप्पणो वि देहम्मि' 31 असियसयं किरियाणं..... 16 27 अस्संखाउ मणुस्सा...... 144 10 प्राऋ ष्टेन मतिमता तत्त्वार्थ...... 91 3 आगासे गंगसोउब्व...... 144 25 प्रात्मद्रोहममर्याद.... P. L. उद्धृतः पाठः 38 आत्मा सहैति मनसा...' 136 26 आदाणे णिक्खेवे..... 18 22 प्रादौ प्रतिष्ठाधिगमे....." 23 आराध्य भूपतिमवाप्य ..... 12 आर्यो देशः कुल-रूपसम्पदायुश्च' 74 5 पालस्समोहवन्ना...... 70 23 आषोडशाद् भवेद् बालो...... 178 10 आसीदिदं तमोभूतं [मनुस्मृतौ १।]..... 181 10 आहाकम्मुद्दे सिय...... 20 18 आहारसरीरिदिय.... Ill 13 आहारार्थ कर्म कुर्यादनिन्द्य...... 186 29 इच्चेएणं बालमरणेणं मरमाणे जीवे..' 178 27 इच्छन्ति कृत्रिम सृष्टि...... 92 31 इदं तावत् करोम्यद्य...... 76 9 इन्द्रियाणि न गुप्तानि....... 178 29 ईश्वरप्रेरित केचित् ...... " 68 14 उक्खणइ खणइ निहणइ...... 69 6 उच्छ्वासावधयः प्राणा:...... 16 उद्दि पेह अंतर....... 12 29 उद्दे से णिद्दे से य [आवश्यकनियुक्ती गा०१३७]...... 299 उपयोगद्वयपरिवृत्तिः...... 84 27 उप्तो यः स्वत एव मोहसलिलो.... 645 उम्मग्गदेसओ मग्ग ..... 25 उववाएणं दोसु उड्ढकवाडेसु...... 38 ऊसरदेसं दड्ढल्लयं च..... 6 एएहिं कारणेहिं...... 17 एक एव हि भूतात्मा..... 28 10 एकं हि चक्षु रमलं सहजो विवेकः ...... 80 14 127 37 एकः प्रकुरुते कर्म..." 114 38 एगदवियस्स जे अत्थ [सन्मतौ]..... 45 36 एगा कोडाकोडी...... 143 21 एगागियस्स दोसा....... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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