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________________ P. 49 49 49 49 50 50 50 50 50 51 52 233386555.88 57 57 57 59 59 59 60 60 60 60 61 61 61 61 61 Jain Education International L. 25 29 33 38 8 37 37 19 13 वियणेत्यादि । व्यजन 18 वियणेत्यादि । व्यजन 23 सेसाइमित्यादि पोषाण श्रायंकेत्यादि । तकि इत्यादि ह लग्नमाखा पुढो पासेत्यादि । पूर्ववन्नेयं यावत् से हुगुणी परिन्नायकम्मे ति बेमि संप्रति वायुस्स योत्यादि वासीति । दुविहेत्यादि । वायुरेव उक्का लिएत्यादि । स्थित्वा 23 एपि जाणेत्यादि । एतस्मि 8 से वसुममित्यादि । से 22 सयणे त्ति गाहा । तत्र 31 38 जह देवस्सेत्यादि । यथा जे बायरेत्यादि । ये 37 लोगस्स य० गाहा । कण्ठया 1 3 लोगस्स य० गाहा । तत्र 12 2 24 39 14 35 42 लोगो त्ति य विजयो त्ति य० गाहा । कण्ठ्या लोगो भरिणश्रो० गाहा । तत्र विज (जि) यो० गाहा विजितः दव्वे खेत्ते० गाहा । नाम दब्बगुणो माहात संकुचिय० गाहा । जीवो देवकुरु० गाहा । क्षेत्रगुणे 1 मूले इकं गाहा मूलस्प 8 श्रोदय० गाहा । भावमूलं 19 नामं ठवणा० गाहा । तत्र 13 पंचसु० गाहा । तत्रे 23 जह सव्वपायवारणं • गाहा । यथा 32 श्रट्टविह कम्मरुक्खा० गाहा । यद 39 दुविहो य होइ मोहो० गाहा मोह 6 संसारस्य मूलमित्यादि । संसार 9 ते सयणेत्यादि । स्वजन: नामं ठवरणा० गाहा । यथा दव्वे खेत्ते० गाहा । द्रव्य नामं ठवरणा० गाहा, किइकम्म० गाहा । 292 P. 66 66 67 69 PENARTH PRICE88 70 71 72 73 73 74 72 35 75 75 76 76 77 74 32 7 80 80 81 83 84 84 18885 86 86 87 88888 89 . 89 नामकर्म 9 अट्ठविहेण उ कम्मेण एत्थ होइ ग्रहीगारो त्ति । गाथार्द्ध जे गुणे से मूलट्ठाणे । अस्य 90 90 17 35 16 34 36 17 10 16 14 31 13 35 31 1 38 28 25 8 37 3 संसारं छेत्तुमरणो० गाहा, माया मे ति गाहा । संसार सोहि इत्यादि ततो से एगया मूडभावं जयंति त्ति यावत् । शृणोति जेहिं वेत्यादि । वाशब्दः इच्चेवमित्यादि । अथवा जीविए इत्यादि वे तु उवादीत इत्यादि । उपादिते जाणित्तु इत्यादि ज्ञात्वा अणभिक्कतं च इत्यादि । चशब्द जाव इत्यादि । यावदस्य अरई आउट्टे से मेहावी । अस्य बीउसे गाहा पह भरणारणाए इत्यादि । श्राज्ञाप्यत For Private & Personal Use Only विमुक्का इत्यादि विविधम् विद्यावि लोह इत्यादि क तं इत्यादि । तदि समिए इत्यादि । अथवा से अबुझमा इत्यादि यावद मुठे विप्परिसुर्वेद से इणं चेवेत्यादि । इदमेव उद्देगो इत्यादिश्यते तम्रो से एगवा रोगसमुष्याया समुपज्जति । तत तिविहेण इत्यादि । त्रिविधेन आसं च इत्यादि । श्रशां एयं पस्स इत्यादि । एतत् 3 39 जमिरणमित्यादि । यः 26 समुट्टिए इत्यादि यावत् निरामयो परि व्वए । सम्यक् 12 अदिस्स इत्यादि । क्रयश्च 1 23 दुबो देता शिवाईत्यादि द्विति 42 लद्धे इत्यादि । लब्धे 21 अन्नहा णमित्यादि । समिति 40 कामा इत्यादि । कामा www.jainelibrary.org
SR No.001423
Book TitleAcharangasutram Sutrakrutangsutram Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagaranandsuri, Anandsagarsuri, Jambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1978
Total Pages764
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, agam_acharang, & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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