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महावीर के उपदेश : १५१
मोक्ष
जो साधक अरति को दूर करता है, वह क्षण-भर में मुक्त हो जाता है।
: २ : भावी कर्मों का आश्रव रोकने वाला साधक पूर्व-संचित कर्मों का भी क्षय कर देता है।
सर्वदर्शी ज्ञानियों ने ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप को ही मोक्ष का मार्ग बतलाया है।
: ४ : साधक ज्ञान से यथार्थ तत्त्वों को जानता है, दर्शन से उनका श्रद्धान करता है, चारित्र के द्वारा उन्हें ग्रहण करता है, और तप से परिशुद्ध होता है।
श्रद्धा-हीन को ज्ञान नहीं होता, ज्ञान-हीन को आचरण नहीं होता, आचरण-हीन को मोक्ष. नहीं मिलता, और मोक्ष पाये बिना निर्वाण-पूर्ण शान्ति नहीं मिलती।
यदि राग-द्वेष न हों, तो संसार में न कोई दु:ख. पाए और न कोई सुख पा कर विस्मित ही हो, प्रत्युत सब मुक्त हो जाय।
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