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________________ ३०९ गा०२२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए सामित्तं ____३४३. एवं सेसदुसमऊणावलियमेत्तफालीणं जाणिदण एसा परूवणा कायव्वा । संपहि चरिमसमयादो हेढा ओदारिजमाणे जो कमो तं वत्तइस्सामो। तं जहादुसमयूणआवलियाए ओवट्टिदअधापवत्तभागहारं विरलिय पुणो एगसयलपक्खेवे समखंडं करिय दिण्णे तत्थ एगखंडं दुसमयूणावलियाए गलिददव्वं होदि । ६३४४. संपहि अणेण पमाणेण घोलमाणजहण्णजोगपक्खेवभागहारमेत्तसगलपक्खेवेसु अवणयणं कायव । अवणिदसेसं चरिम-दुचरिमफालोणं पमाणं होदि । ६.३४५. संपहि हेडा अधापवत्तभागहारं विरलेदूण एगचरिम-दुचरिमफालिपमाणे समखंडं कादृण दिण्णे तत्थेगेगरूवस्स दुचरिमफालिपमाणं पावदि । पुणो एदम्मि सेढीए असंखेजदिमागमेत्तचरिम-दुचरिमफालीसु अवणिदे सेसं चरिमफालिपमाणेण चेहदि । ३४०१२२२४ =३२ द्वितीय शेष । ६३४३. इसी प्रकार शेषकी दो समयकम आवलिप्रमाण फालियोंको जान कर यह कथन करना चाहिये । अब अन्तिम समयसे नीचे उतारनेका जो क्रम है उसे बतलाते हैं। यथा-दो समयकम एक आवलिका अधःप्रवृत्तभागहारमें भाग दो जो लब्ध आवे उसका विरलन करो फिर उसपर एक सकल प्रक्षेपको समान खण्ड करके दो, इस प्रकार जो एक खण्ड प्राप्त हो उतना दो समयकम एक आवलिमें गलनेवाले द्रव्यका प्रमाण है। उदाहरण-आवलिका प्रमाण ८ समय; दो समयकम आवलि ८-२-६, अधःप्रवृत्तभागहार ९; = ३, १३, सकलप्रक्षेप ४३०४६७२१,२८६९७८१४ १४३४८९०७, दो समय कम एक आवलिमें गलनेका प्रमाण २८६९७८१४ । ६३४४. अब इस प्रमाणको जघन्य परिणाम योगस्थानके प्रक्षेप भागहारप्रमाण सकल प्रक्षेपोंमेंसे घटा देना चाहिये । घटाने पर जो शेष रहे वह चरम और द्वि चरम फालियोंका प्रमाण होता है। __उदाहरण-४३०४६७२१ -२८६९७८१४=१४३४८९०७ चरम और द्विचरम फालियोंका प्रमाण । ६३४५. अब नीचे अधःप्रवृत्तभागहारका विरलनकर उसपर एक चरम और द्विचरम फालिके प्रमाणको समान खण्ड करके देयरूपसे देनेपर वहां प्रत्येक एकके प्रति द्विचरम फालिका प्रमाण प्राप्त होता है। फिर इसे जगणिके असंख्यातवें भागप्रमाण चरम और द्वि चरम फालियोंमेंसे घटा देने पर शेष अन्तिम फालियोंका प्रमाण रहता है। उदाहरण-अधःप्रवृत्तभागहारका प्रमाण ९; चरम और द्विचरम फालिका प्रमाण १४३४८९०७ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ १५९४३२३ विचरम फालिका प्रमाण १५९४३२३; चरमफालि = १४३४८९०७ - १५९४३२३ =१२७५४५८४, जगणिके असंख्यातवें भाग ३६ प्रमाण चरम द्विचरम फालि द्रव्य ३६४१४३४८९०७ मेंसे जगणिप्रमाण द्विचरम फालिका द्रव्य ३६४१५९४३२३ घटा देने पर जगश्रेणिप्रमाण अन्तिम फालियोंका द्रव्य होता है ३६४१२७५४५८४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001412
Book TitleKasaypahudam Part 06
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1958
Total Pages404
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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