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________________ १०० 'जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ काऊण कम्महिदिमेत्तकालहिंडावणं ण णिप्फलं ति दहव्वं । एत्थतणअप्पदरकालादो भुजगारकालो बहुओ त्ति कुदो णव्वदे ? एदस्स सुत्तस्स आरंभण्णहाणुववत्तीदो। पलिदो० असंखे०भागमेत्तभुजगारकालं परिभमिदस्स वि गुणिदकम्मंसियत्तं घडदि त्ति णासंकणिजं, मिच्छत्तसामित्तमुत्तेण सह विरोहादो। असंखेजवस्साउए गदो त्ति किमटुं वुच्चदे ? णव॒सयवेदस्स बंधवोच्छेदं करिय तदद्धाए संखेजेसु भागेसु इत्थिवेदबंधावणटुं । तसकाइएसु बंधमाणे बहुवारमसंखेजवस्साउअतिरिक्ख-मणुस्सेसु उप्पाइदो त्ति सुत्ताहिप्पाओ । जम्हि असंखेजवस्माउए जीवे आउअं पलिदो० असंखे०भागो तम्हि पलिदो० असंखे०भागेण कालेण पूरिदो। असंखे०वस्साउएसु तिरिक्ख-मणुस्सेसु उप्पज्जमाणो वि पलिदो० असंखे०भागमेत्ताउएसु चेव बहुबारमुप्पण्णो ति एदेण जाणाविदं । किमट्ठमेत्थ चेव बहुवारमुप्पाइजदे' ? उवरिमआउआणमित्थिवेदबंधगद्धादो बहुयराए पलिदो० असंखे०भागाउआणमित्थिवेदबंधगद्धाए वहुदव्वसंगलणडं। उवरिमहुए द्रव्यका अल्पतरकाळके अन्दर निर्मूल विनाश नहीं होता, अतः कर्मस्थिति कालतक भ्रमण कराना निष्फल नहीं है ऐसा जानना चाहिये । शंका-यहाँ के अल्पतर कालसे भुजगारका काल बहुत है यह किस प्रमाणसे जाना जाता है। समाधान-यदि ऐसा न होता तो स्त्रीवेदके उत्कृष्ट संचयको बतलानेवाले उक्त चूर्णिसूत्रकी रचना ही न होती। भुजगारका काल पल्यके असंख्यातवें भाग कहा है। उतने कालतक भ्रमण करनेवाले जीवके भी गुणितकर्मा शिकपना बन जाता है ऐसी आशंका नहीं करनी चाहिये, क्योंकि ऐसा होनेसे पहले कहे गये मिथ्यात्वके उत्कृष्ट प्रदेशसंचयको बतलानेवाले सूत्रके साथ विरोध आता है। शंका-असंख्यात वर्षकी आयुवालोंमें उत्पन्न हुआ ऐसा किसलिए कहा ? समाधान—नपुंसकवेदके बन्धकी व्युच्छित्ति करके उसके कालके संख्यात बहुभागोंमें स्त्रीवेदका बन्ध करानेके लिये असंख्यात वर्षकी आयुवालोंमें उत्पन्न हुआ यह कहा। यहाँ त्रसकायिकोंमें स्त्रीवेदका बन्ध करते हुए बहुत बार असंख्यात वर्षकी आयुवाले तिर्यञ्च और मनुष्योंमें उत्पन्न कराना चाहिये ऐसा सूत्रका अभिप्राय है। जिस असंख्यात वर्षकी आयुवाले जीवकी आयु पल्यके असंख्यातवें भाग है वह पल्यके असंख्यातवें भाग कालके द्वारा उसे पूरा करे । इससे यह बतलाया कि असंख्यात वर्षकी आयुवाले तिर्यञ्च और मनुष्योंमें उत्पन्न होते हुए भी पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण आयुवालों में ही बहुत बार उत्पन्न हुआ। शंका-इन्हींमें बहुत बार क्यों उत्पन्न कराया है ? समाधान-ऊपरकी आयुवाले जीवोंके स्त्रीवेदके बन्धककालसे पल्यके असंख्यातवें भाग आयुवाले जीवोंका स्त्रीवेदका बन्धककाल बहुत अधिक है। अतः बहुत द्रव्यके संचयके लिये पल्यके असंख्यातवें भाग आयुवालोंमें बहुत बार उत्पन्न कराया है। १. ताप्रती 'बहुवारादो उप्पाइजदे' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001412
Book TitleKasaypahudam Part 06
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1958
Total Pages404
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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