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गा० २२]
अणुभागविहत्तीए कालो ॐ पाणाजीवेहि कालो। $ ३६८. अहियारसंभालणसुत्तमेदं । सुगमं । 8 मिच्छत्तस्स उकस्साणुभागकम्मंसिया केवचिरं कालादो होति ! $ ३६६. एदं पि सुत्तं सुगम, पुच्छासुत्तत्तादो । * जहणणेण अंतोमुहुत्तं ।
$ ३७०. कुदो ? सत्तहजीवेसु बंधुक्कस्साणुभागेसु सव्वजहण्णेणंतोमुहुत्तकालेण धादिदाणुभागखंडएसु उक्कस्साणुभागस्स सव्वजहण्णंतोमुहुत्तमेत्तकालुवलंभादो।
* उकस्सेण पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो।
३७१. कुदो ? एगजीवस्स उक्कस्साणुभागसंतकम्मद्धमंतोमुहुत्तमेत्तं ठविय पलिदो० असंखे भागमेत्ताहि उक्कस्साणुभागपवेससलागाहि गुणिदे पलिदो० असंखे० भागमेत्तकालुवलंभादो।
* एवं सेसाणं कम्माणं सम्मत्त-सम्मामिच्छत्तवज्जाणं ।
5 ३७२. जहा मिच्छत्तुक्कस्साणुभागस्स गाणाजीवे अस्सिदूण जहण्णुक्कस्सकालपरूवणा कदा तहा सेसकम्माणं पि कायव्वा, विसेसाभावादो । सम्मत्त-सम्मामिच्छत्त
* नाना जीवों की अपेक्षा कालका अधिकार है। ६ ३६८. अधिकार की सम्हाल करना इस सूत्रका कार्य है। इसका अर्थ सुगम है। * मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागसत्कर्मवाले जीवोंका कितना काल है। $ ३६९. यह सूत्र भी सुगम है, क्योंकि यह पृच्छासूत्र है। * जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है।
६३७०. क्यो कि सात आठ जीवो के उत्कृष्ट अनुभागका बंध करके और सबसे जघन्य अन्तर्मुहूर्त कालके द्वारा अनुभागकाण्डको का घात कर देने पर उत्कृष्ट अनुभागका सबसे जघन्य अन्तर्मुहूर्त काल पाया जाता है।
* उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है।
६३७१, क्योकि एक जीवके उत्कृष्ट अनुभागसत्कर्मका काल अन्तर्मुहूर्त मात्र है और उत्कृष्ट अनुभागमें प्रवेश करनेकी शलाकाऐं पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं अर्थात् लगातार इतनी बार जीव उत्कृष्ट अनुभागमें प्रवेश कर सकते हैं, अत: अन्तमुहूर्त मात्र कालको पल्यके असंख्यातवें भागसे गुणा करने पर नाना जीवोंकी अपेक्षा उत्कृष्ट अनुभागसत्कर्मका उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भाग मात्र पाया जाता है।
* सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व को छोड़कर इसी प्रकार शेष कर्मों के अनुभागसत्कर्मका काल कहना चाहिये।
६ ३७२. जैसे नाना जीवो की अपेक्षा मिथ्यात्वके उत्कृष्ट अनुभागके जघन्य और उत्कृष्ट कालका कथन किया है वैसे ही शेष कर्मों का भी कथन कर लेना चाहिये, क्योंकि दोनों में कोई अन्तर नहीं है।
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