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जयघवलासहिदे कसायपाहुडे [ पयडिविहत्ती २ ७५. कायजो० विहत्ति० केत्तिया ? अणंता। अविहत्ति० संखेज्जा । एवमोरालिय०-ओरालियमिस्स०-कम्मइय०-अचक्खु०-भवसिद्धि०-आहारएत्ति वत्तव्यं ।
६ ७६. अवगदवेद० विहत्ति० केत्ति ? संखेज्जा । अविहत्तिया केत्तिया ? अणंता। एवमकसा० वत्तव्वं । सम्मादिही० विहत्ति० केत्ति ? असंखेज्जा। अविहत्ति०
विशेषार्थ-जिस प्रकार सर्वार्थसिद्धि के देव संख्यात होते हुए भी वे सव मोहनीय कर्मसे युक्त होते हैं। उसीप्रकार ऊपर कहे गये शेष मार्गणास्थानोंमें भी जानना चाहिये।
७५. काययोगियोंमें मोहनीय विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। तथा मोहनीय अविभक्तिवाले जीव संख्यात हैं । इसीप्रकार औदारिककाययोगी, औदारिकमिश्रकाययोगी, कार्मणकाययोगी, अचक्षुदर्शनी, भव्य और आहारक जीवोंमें जानना चाहिये ।
विशेषार्थ-काययोगियों का प्रमाण अनन्त है। तथा उनमें मोहनीयकर्मसे युक्त और मोहनीय कर्मसे रहित दोनों प्रकारके जीव पाये जाते हैं। जो बारहवें और तेरहवें गुणस्थानवी जीव हैं वे मोहनीय कर्मसे रहित हैं, अत: उनका प्रमाण संख्यात है और शेष ग्यारह गुणस्थानवी जीव मोहनीय कर्मसे युक्त हैं, अतः उनका प्रमाण अनन्त है। औदारिककाययोगियोंका कथन भी इसीप्रकार समझना चाहिये । कार्मणकाययोगियों में पहले, दूसरे और चौथे गुणस्थानमें विग्रहगनिको प्राप्त मोहनीय कर्मसे युक्त जीव लेना चाहिये । प्रत्येक समयमें अनन्त जीव विग्रहगतिको प्राप्त होते हैं, इस नियमके अनुसार उनका प्रमाण अनन्त होता है। कार्मणकाययोगियोंमें प्रतर और लोकपूरण समुद्भातको प्राप्त सयोगकेवली मोहनीय कर्मसे रहित होते हैं। वे संख्यात ही हैं। औदारिकमिश्रकाययोगियोंमें नवीन शरीर धारण करने के प्रथम समयसे लेकर अन्तर्मुहूर्त काल पर्यन्त संचित हुए पहले, दूसरे और चौथे गुणस्थानके तिर्यंच और मनुष्योंका ग्रहण करना चाहिये । वे अनन्त हैं और मोहनीय कर्मसे युक्त होते हैं। तथा कपाटसमुद्भातको प्राप्त औदारिक मिश्रकाययोगी मोहनीय कर्मसे रहित जानना चाहिये। इनका प्रमाण संख्यात ही है। अचक्षुदर्शनियोंमें प्रारंभसे लेकर ग्यारह गुणस्थान तकके जीव मोहनीय कर्मसे युक्त और बारहवें गुणस्थानके जीव मोहनीय कर्मसे रहित जानना चाहिये । भव्य और आहारकोंमें भी ग्यारह गुणस्थानके जीव मोहनीय कर्मसे युक्त और शेष मोहनीय कर्मसे रहित जानना चाहिये । इतना विशेष है कि मोहनीय कर्मसे रहित आहारकोंमें बारहवें और तेरहवें गुणस्थानके ही जीव होते हैं चौदहवेंके नहीं।।
७६. अपगतवेदी जीवोंमें मोहनीय विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। मोहनीय अविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। इसीप्रकार कषायरहित जीवोंके कथन करना चाहिये । सम्यग्दृष्टियोंमें मोहनीय विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। मोहनीय अविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंके भी इसीप्रकार
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