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जयघपलासहिदे कसायपाहुडे
[ पयडिविहत्ती २
वेदय पंचिंदियतिरिक्ख अपजत्तभंगो।
एवमप्पाबहुअं समत्तं । एवं पयडिविहत्ती समत्ता।
पंचेन्द्रियतिथंच लब्ध्यपर्याप्तकोंके कहे गये अल्पबहुत्वके समान है।
इसप्रकार अल्पबहुत्व समाप्त हुआ।
इसप्रकार प्रकृतिविभक्ति समाप्त हुई ।
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