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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[पयडिविहत्ती २ अकम्माणि वा कम्मविहत्ती, अवसेसदब्वाणि णोकम्मविहत्ती । 'चेव'सदो समुच्चयत्थे दहव्यो।
* कम्मविहत्ती थप्पा। ६६. कुदो ? बहुवण्णणिज्जत्तादो एदीए अहियारादो वा । ६ ७. संपहि णोकम्मविहत्तीपरूवणमुत्तरसुत्ताणि भणइ* तुल्लपदेसियं दव्वं तुल्लपदेसियस्स दव्वस्स अविहत्ती।
८. तुल्यः समानः प्रदेश: प्रदेशा वा यस्य द्रव्यस्य तत्तुल्यप्रदेशं द्रव्यं । तदन्यस्य तुल्यप्रदेशस्य द्रव्यस्य अविभक्तिर्भवति । विभजनं विभक्तिः, न विभक्तिरविभक्तिः प्रदेशैः समानमिति यावत् ।।
* वेमादपदेसियस्स विहत्ती।
६६. मीयतेऽनयेति मात्रा संख्या। विसदृशी मात्रा येषां ते विमात्रा विप्रदेशाः यस्मिन् द्रव्ये तद्विमात्रप्रदेशं द्रव्यं । तस्य विमात्रप्रदेशस्य द्रव्यस्य पूर्वमर्पितद्रव्यं है । अथवा ज्ञानावरणादि आठों कर्मोको कर्मतव्यतिरिक्तनोआगमद्रव्यविभक्ति कहते हैं। तथा शेष द्रव्य नोकर्मतद्व्यतिरिक्तनोआगमद्रव्यविभक्ति कहलाते हैं । यहां चूर्णिसूत्रके अन्तमें 'चेव' शब्द आया है उसे समुच्चयार्थक जानना चाहिये।
* पहले तव्यतिरिक्तनोआगमके दो भेदोंमें जो कर्मविभक्ति नामका पहला भेद कह आये हैं उसका कथन स्थगित करते हैं ।
६. शंका-यहां कर्मविभक्तिका कथन स्थगित क्यों किया है ।
समाधान-क्योंकि आगे चलकर कर्मविभक्तिका बहुत वर्णन करना है, अथवा कषायप्राभृतमें उसीका अधिकार है अतः यहां उसका कथन स्थगित किया है।
६ ७. अब नोकर्मविभक्तिका कथन करनेके लिये आगेके सूत्र कहते हैं* तुल्य प्रदेशवाला एक द्रव्य तुल्य प्रदेशवाले दूसरे द्रव्यके साथ अविभक्ति है।
८. तुल्य और समान ये दोनों शब्द समानार्थवाची हैं । अतः यह अर्थ हुआ कि जिस द्रव्यके एक या अनेक प्रदेश समान होते हैं. वह द्रव्य तुल्य प्रदेशवाला कहा जाता है। वह तुल्य प्रदेशवाला द्रव्य अन्य तुल्य प्रदेशवाले द्रव्यके साथ अविभक्ति अर्थात् समान है। विभाग करनेको विभक्ति कहते हैं और विभक्तिके अभावको अविभक्ति कहते हैं । यहां जिसका अर्थ प्रदेशोंकी अपेक्षा समान होता है।
* विवक्षित द्रव्य उससे असमान प्रदेशवाले द्रव्यके साथ विभक्ति है।
६६. जिसके द्वारा माप अर्थात् गणना की जाती है उसे मात्रा अर्थात् संख्या कहते हैं। तथा 'वि' का अर्थ विसदृश है। अतः यह अर्थ हुआ कि जिस द्रव्यमें विमात्र अर्थात् विसदृश संख्यावाले प्रदेश पाये जाते हैं उसे विमात्रप्रदेशवाला द्रव्य कहते हैं।
(१) “मादा णाम सरिसत्तं । विगदा मादा विमादा।"-५०मा० पत्र ९०५ ।
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