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जयासह कसा पाहुडे
| पर्या डिविहती ३
१३०१. जोगाणुवादेण पंचमण ० पंचवचि० वेउब्विय० - आहार० अप्पप्पणी पदाणं विह० जह० एगसमओ, उक्क० अंतोमुहुत्तं । कायजोगि० अट्ठावीस - सत्तावीस विह० के० ? जह० एगसमओ, उक्क० पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो । छव्वीसविह० के० ? जह० एगसमओ, उक्क० सगहिदी । सेसाणं मणजोगिभंगो। ओरालियकायजोगि० अट्ठावीससत्तावीस - छब्बीसविह० के० ? जह० एगसमओ, उक्क० बावीस वस्ससहस्साणि अंतोमुहुत्तणाणि । सेसाणं मणजोगिभंगो । ओरालियमिस्स ० अट्ठावीस -सत्तावीसछब्वीस-वावीसविह० के० ? जह एगसमओ, उक्क० अंतोमुहुत्तं । चउवीस - एकवीस वि० के० ? जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । एवं वेउव्वियमिस्स० । आहारमिस्स ० सव्वपदाणं विह० के० ? जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । कम्मइय० अट्ठावीस - सत्तावीस-छब्बीसविह के० ? जह० एगसमओ, उक्क० तिष्णि समया । चउवीस-बावीस - एकवीसवि० के० १ जह० एगसमओ, उक्क० बेसमया ।
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आये है उसीप्रकार यहां भी कह लेना चाहिये ।
१३०१. योगमार्गणा के अनुवादसे पांचों मनोयोगी, पांचों बचनयोगी, वैक्रियिककाययोगी और आहारककाययोगी जीवोंके अपने अपने विभक्तिस्थानोंका जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल अन्तर्मुहूर्त है । काय योगी जीवोंके अट्ठाईस और सत्ताईस विभक्तिस्थानों का काल कितना है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल पल्य के असंख्यातवें भाग है । छब्बीस विभक्तिस्थानका काल कितना है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल अपनी स्थिति प्रमाण है । शेष स्थानोंका काल मनोयोगियों के समान है । औदारिककाययोगी जीवोंके अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्तिस्थानका कितना काल है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल अन्तर्मुहूर्त कम बाईस हजार वर्ष प्रमाण है । शेष स्थानोंका काल मनोयोगियोंके समान है । औदारिक मिश्रकाययोगी जीवोंके अट्ठाईस, सत्ताईस, छब्बीस और बाई विभक्तिस्थानका काल कितना है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तमुहूर्त है। चौबीस और इक्कीस विभक्तिस्थानका काल कितना है ? जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । जिसप्रकार औदारिक मिश्रकाययोगियोंके अट्ठाईस आदि स्थानोंका काल कह आये है उसीप्रकार वैक्रियिकमिश्र काययोगियोंके उक्त स्थानोंका काल जानना चाहिये | आहारक मिश्रकाययोगियोंके संभव सभी स्थानोंका काल कितना है ? जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । कार्माणकाययोगियोंके अट्ठाईस, सत्ताईस और छब्बीस विभक्ति स्थानोंका काल कितना है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्टकाल तीन समय है । चौबीस, बाईस और इक्कीस विभक्तिस्थानोंका काल कितना है जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल दो समय है ।
विशेषार्थ- पांचों मनोयोग, पांचों वचनयोग, वैक्रियिककाययोग और आहारक काय
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