________________
mahela
सिरि-जइवसहाइरियविरइय-चुण्णिसुत्तसमण्णिदं
सिरि-भगवंतगुणहरभडारोवइ8
कसा यपा हुडं
तस्स
सिरि-वीरसेणाइरियविरइया टीका जयधवला
तत्थ पयडिविहत्ती णाम विदियो अत्याहियारो
(४) पगदीए मोहणिज्जा विहत्ति तह हिदीए अणुभागे।
उक्कस्समणुकस्सं झीणमझीणं च ट्ठिदियं वा ॥२२॥ मोहनीयकर्मकी प्रकृति, स्थिति और अनुभाग विभक्ति तथा उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेश विभक्ति, झीणाझीण और स्थित्यन्तिकका कथन करना चाहिये ॥२२॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org