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________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पेज्जदोसविहत्ती १ बेलक्खमेत्तपदाणि २२८००० । णाहधम्मकहाए छप्पण्णसहस्साहियपंचलक्खमेत्तपदाणि ५५६००० । उवासयज्झयणम्मि सत्तरिसहस्साहियएक्कारसलक्खपदाणि ११७०००० । अंतयडदसाए अट्ठावीससहस्साहियतेबीसलक्खपदाणि २३२८००० । अणुत्तरोववादियदसाए चोदालीससहस्साहियवाणउदिलक्खपदाणि ६२४४००० । पण्हवायरणम्मि सोलससहस्साहियतिणउइलक्खपदाणि ६३१६००० । विवागसुत्तम्मि चउरासीदिलक्खाहियएककोडिमेतपदाणि १८४०००००। एदेसिमेकारसण्हं पि अंगाणं पदसमुदायपमाणं चत्तारि कोडीओ पण्णारस लक्खा वे सहस्साणि च होदि ४१५०२००० । दिहिवादे अठुत्तरसदकोडीओ अट्टसट्टिलक्खपंचुत्तरछप्पण्णसहस्समेत्तपदाणि १०८६८५६००५ । ७६. एदस्स दिहिवादस्स परियम्म सुत्त-पढमाणियोग-पुवगय-चूलिया चेदि पंच अत्थाहियारा । तत्थ परियम्मम्मि एककोडि-एगासीदिलक्ख-पंचसहस्समेतपदाणि १८१०५००० । एत्थ परियम्मे चंदपण्णत्ती सूरपण्णत्ती जंबूदीवपण्णत्ती दीवसायरपण्णत्ती वियाहपण्णत्ती चेदि पंच अत्थाहियारा । तत्थ चंदपण्णत्तीए पंचसहस्साहियछत्तीसलक्खपदाणि ३६०५००० । सूरपण्णत्तीए तिण्णिसहस्साहियपंचलक्खपदाणि ५०३०००। जंबूदीवपण्णत्तीए पंचवीससहस्साहियतिण्णिलक्खमेत्तपदााण ३२५०००। दीवसायरपण्णत्तीए छत्तीससहस्साहियबावण्णलक्खपदाणि ५२३६००० । वियाहपण्णत्तीए छत्तीससहस्साहियचुलसीदिलक्खपदाणि ८४३६००० । हैं। नाथधर्मकथामें पाँच लाख छप्पन हजार ५५६००० पद हैं। उपासकाध्ययन अंगमें ग्यारह लाख सत्तर हजार ११७०००० पद हैं। अन्तःकृद्दशाङ्गमें तेईस लाख अट्ठाईस हजार २३२८००० पद हैं । अनुत्तरौपपादिकदशाङ्गमें बानवे लाख चवालीस हजार ६२४४००० पद हैं । प्रश्नव्याकरण अङ्गमें तिरानवे लाख सोलह हजार १३१६००० पद हैं। विपाकसूत्राङ्गमें एक करोड़ चौरासी लाख १८४००००० पद हैं। इन ग्यारह ही अंगोंके पदोंके समुदायका प्रमाण चार करोड़ पन्द्रह लाख दो हजार ४१५०२००० होता है। दृष्टिवाद अंगमें एकसौ आठ करोड़ अड़सठ लाख छप्पन हजार पाँच १०८६८५६००५ पद हैं। ६७६. इस दृष्टिवाद अंगके परिकर्म, सूत्र, प्रथमानुयोग, पूर्वगत और चूलिका ये पाँच अर्थाधिकार हैं। उनमेंसे परिकर्ममें एक करोड़ इक्यासी लाख पाँच हजार १८१०५००० पद हैं। इस परिकर्ममें चन्द्रप्रज्ञप्ति, सूर्यप्रज्ञप्ति, जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति द्वीपसागरप्रज्ञप्ति और व्याख्या प्रज्ञप्ति ये पाँच अर्थाधिकार हैं। उनमेंसे चन्द्रप्रज्ञप्तिमें छत्तीस लाख पाँच हजार ३६०५००० पद हैं। सूर्यप्रज्ञप्तिमें पाँच लाख तीन हजार ५०३००० पद हैं । जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिमें तीन लाख पच्चीस हजार ३२५००० पद हैं। द्वीपसागरप्रज्ञप्तिमें बावन लाख छत्तीस हजार (१) एतेषां पदसंख्याः हरि० १०।६३-७०। श्लोकेषु गो० जीव० ३६२, ३६३ गाथयोः अंगपण्णत्तौ (चतुर्दशपूर्वाङ्गप्रज्ञप्तौ) ३, ४, ७, ८, ११, १४, १५, ३७ गाथासु च द्रष्टव्याः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001407
Book TitleKasaypahudam Part 01
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Mahendrakumar Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1944
Total Pages572
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Karma, H000, & H999
File Size14 MB
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