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________________ ५१२] छक्खंडागमे नेसणाखंडं [४,२, १६, २२ गोदस्स कम्मस्स पयडीओ असंखेजगुणाओ॥२२॥ को गुणगारो ? अंतोमुहुत्तोवट्टिदतीससागरोवमकोडाकोडीओ। वेयणीयस्स कम्मस्स पयडीओ विसेसाहियाओ ॥२३॥ केत्तियमेत्तो विसेसो ? असंखेजलोगमेत्तो। णामस्स कम्मस्स पयडीअो असंखेजगुणाओ॥ २४ ॥ को गुणगारो ? असंखेजा लोगा। दसणावरणीयस्स कम्मस्स पयडीओ असंखेजगुणाओ ॥ २५ ॥ को गुणगारो ? असंखेजा लोगा। णाणावरणीयस्स कम्मस्स पयडीओ विसेसाहियाओ ॥ २६ ॥ केतिमेतो विसेसो ? पदरस्स असंखेज्जदिमागमेत्तो । एवं खेत्तपञ्चासो समत्तो । एवं वेयणअप्पाबहुगाणिओगद्दारे समत्ते वेयणाखंडो समत्तो'। गोत्रकर्मकी प्रकृतियाँ उनसे असंख्यातगुणी हैं ॥ २२॥ गुणकार क्या है ? गुणकार अन्तर्मुहूर्तसे अपवर्तित तीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम है। वेदनीय कर्मकी प्रकृतियाँ उनसे विशेष अधिक हैं ॥ २३ ॥ विशेष कितना है ? वह असंख्यात लोक प्रमाण है। नामकर्मकी प्रकृतियाँ उनसे असंख्यातगुणी हैं ॥ २४ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार असंख्यात लोक है। दर्शनावरणीय कर्मकी प्रकृतियाँ उनसे असंख्यातगुणी हैं ॥ २५ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार असंख्यात लोक है। ज्ञानावरणीय कर्मको प्रकृतियाँ उनसे विशेष अधिक हैं ॥ २६ ॥ विशेष कितना है ? वह प्रतरके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। इस प्रकार क्षेत्रप्रत्यास समाप्त हुआ। इस प्रकार वेदनाअल्पबहुत्व अनुयोगद्वारके समाप्त होनेपर वेदनाखण्ड समाप्त हुआ। १ प्रतिषु 'वेयणाखंड समत्ता' इति पाठः। ततश्च निम्नपाठः उपलभ्यते-"णमो णाणाराहणाए, णमो दंसणाराहणाए, णमो चरित्ताराहणाए, णमो तवाराहणाए, णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो श्राइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं, णमो भयवदो महदिमहावीरवडमाणबुद्धरिसिस्स, णमो भयवदो गोदमसामिस्स, नमः सकलविमलकेवल ज्ञानावभासिने, नमो वीतरागाय महात्मने, नमो वर्द्धमानभट्टारकाय वेदनाखण्डं समाप्तम् । अबोधे बोधं यो जनयति सदा शिष्यकुमुदे, प्रभूय प्रह्लादी दुरितपरितापोपशमनः । तपोवृत्तिर्यस्य स्फुरति जगदानन्दजननी, जिनध्यानासक्तो जयति कुलचन्द्रो मुनिरयम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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