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________________ ४,२, १३, २७४.] वेयणसण्णियासविहाणाणियोगद्दारं [४६३ द्विददव्वमेगसमयपबद्धस्स असंखेज्जदिभागो' जहण्णदव्ववेयणा । एत्थ पुण पुवकोडिकालभंतरे एगा वि गुणहाणी णत्थि, गुणहाणीए' असंखेज्जभागत्तादो। तेण आउअजहण्णदव्वादो खीणकसायचरिमसमयदव्यमसंखेज्जगुणं ति सिद्धं । एवं दंसणावरणीय-अंतराइयाणं ।। २७१ ॥ जहा णाणावरणीयस्स सण्णियासो कदो तधा एदेसि पि दोण्णं पयडीणं कायव्वो, विसेसाभावादो। जस्स वेयणीयवेयणा दव्वदो जहण्णा तस्स णाणावरणीयदंसणावरणीय-मोहणीय-अंतराइयाणं वेयणा दव्वदो जहणिया णस्थि ॥ २७२॥ कुदो १ छदुमत्थावत्थाए वेव तिस्से विणद्वत्तादो । तस्स आउअवेयणा दव्वदो कि जहण्णा अजहण्णा ॥२७३॥ सुगमं । णियमा अजहण्णा असंखेजगुणब्भहिया॥ २७४ ॥ शिखाके आकारसे जो द्रव्य स्थित है वह एक समयप्रबद्धके असंख्यातवें भाग मात्र जघन्य वेदना स्वरूप है। परन्तु यहाँ पूर्वकोटिकालके भीतर एक भी गुणहानि नहीं है, क्योंकि, वहाँ गुणहानिका असंख्यातवाँ भाग ही है। इसलिये आयुके जघन्य द्रव्यसे क्षीणकषायका अन्तिम समयसम्बन्धी द्रव्य असंख्यात- गुणा है, यह सिद्ध है। इसी प्रकारसे दर्शनावरणीय और अन्तरायकी प्ररूपणा करना चाहिये ॥ २७१ ॥ जिस प्रकार ज्ञानावरणीयका सन्निकर्ष किया गया है उसी प्रकार इन दोनों कर्मों के सन्निकर्षका कथन करना चाहिये, क्योंकि, उसमें कोई विशेषता नहीं है। जिस जीवके वेदनीयकी वेदना द्रव्यको अपेक्षा जघन्य होती है उसके ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तरायकी वेदना द्रव्यकी अपेक्षा जघन्य नहीं होती ।। २७२ ।। कारण कि उक्त कर्मोंकी वह वेदना छमस्थ अवस्थामें ही नष्ट हो चुकी है। उसके आयुकी वेदना द्रव्यकी अपेक्षा क्या जघन्य होती है या अजघन्य ॥२७३।। यह सूत्र सुगम है। वह नियमसे अजघन्य असंख्यातगुणी अधिक होती है ।। २७४ ॥ १ ताप्रतौ 'असंखेजभागो' इति पाठः । २ अाप्रतौ 'जहण्णदव्वहिया' इति पाठः । ३ अप्रतौ 'गुणहाणी अस्थि ण गुणहाणीए' इति पाठः । ४ अ-का-ताप्रतिषु 'छदुमत्थाए', आप्रतौ 'छदुमत्थत्थाए' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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