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________________ ४, २, ७, २१४. वेयणमहाहियारे वेयणभावविहाणे विदिया चूलिया [१६९ तिण्णि वदुब्भागायामं रूवूणतिण्णिचदुब्भागद्धविक्खंभखेत्तं होदूण चेहदि । तं चेदं ०००००००००००० ११०००००००००००० २०००००००००००० ०००००००००००० ०००००००००००० ०००००० CM पुणो एत्थ उक्कस्ससंखेज्जयस्स चदुब्भागविक्खंभेण । तिण्णिचदुब्भागायामेण तच्छेदूण पुध हवेदव्वं । तं च एदं-४०००००००००००० ०००००००००००० ०००००००००००० |१००००००००००० ३ सेसखेत्तमुक्कम्ससंखज्जयस्स तिण्णिचदुब्भागाया | १२०००००००००००० ८०००००००००००० उक्कस्ससंखेज्जयस्सेव अद्धरूवूणहमभागविक्खंभखेत्तं होदृण चेदि । पुणो एदं तिण्णिखंडाणि कादण तत्थ तदिखंडम्हि उक्कस्ससंस्खेज्जयस्स अट्ठमभागमेत्तपिसुलाणि घेत्तण विदयखंडम्मि ऊणपंतीए ढोइदे' पढम-विदियखंडाणि उक्कस्ससंखेज्जयस्स चदुब्भागायामेण तस्स अहमभागविक्खंभेण चेट्ठति । पुणो तत्थ विदियखंडं घेत्तूण पढमखंडस्सुवरि ठविदे उकस्ससंखेज्जयस्स चदुब्भाग भागके अर्ध भाग प्रमाण विस्तृत क्षेत्र होकर स्थित होता है । वह यह है ( संदृष्टि मूलमें देखिये)। फिर इसमेंसे उत्कृष्ट संख्यातके चतुर्थ भाग विष्कम्भ और उसके तीन चतुर्थ भाग आयामके प्रमाणसे छीलकर पृथक् स्थापित करना चाहिये । वह यह है-(मूलमें देखिये।) शेष क्षेत्र उत्कृष्ट संख्यातके तीन चतुर्थ भाग आयत और उत्कृष्ट संख्यातके ही अर्ध अंकसे कम आठवें भाग विस्तृत क्षेत्र होकर स्थित होता है ( संदृष्टि मूलमें देखिये )। फिर इसके तीन खण्ड करके उनमें तृतीय खण्डमेंसे उत्कृष्टसंख्यातके आठवें भाग मात्र पिशुलोको ग्रहणकर द्वितीय खण्डकी हीन पंक्तिमें मिलानेपर प्रथम और द्वितीय खण्ड उत्कृष्ट संख्यातके चतुर्थ भाग आयाम और उसके आठवें भाग विष्कम्भसे स्थित होते हैं । फिर उनमें से द्वितीय खण्डको ग्रहणकर प्रथम खण्डके ऊपर स्थापित करनेपर उत्कृष्ट संख्यातके चतुर्थ भाग विष्कम्भ और १ अ-अापत्योः 'धोइदे' इति पाठः। छ. १२-२२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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