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________________ विषय ७ वेदनाभावविधान वेदनाभावविधान में तीन अनुयोगद्वारों की विषयसूची ज्ञानावरणीय वेदना की भावकी अपेक्षा पदमीमांसा शेष सात कर्मोंकी भावकी अपेक्षा पदमीमांसा सूचना भावका चार निक्षेपोंमें अवतार और उनका खुलासा यहाँ भाववेदनासे भावकर्म विवक्षित हैं। वेदनाभावविधानके कथनका प्रयोजन तीन अनुयोगों के नाम पदमीमांसा, स्वामित्व और अल्पबहुत्व पदका स्पष्टीकरण भावकी अपेक्षा पदमीमांसा | Jain Education International पृष्ठ १-२७४ १ १ २ ३ ३ ३ ४ ४ १२ १२ १२ १३ १५ भावकी अपेक्षा स्वामित्व स्वामित्व के दो भेद व उनका समर्थन उत्कृष्ट ज्ञानावरणीय वेदनाका स्वामी अनुत्कृष्ट ज्ञानावरणीय वेदनाका स्वामी इसीप्रकार दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय के जाननेकी सूचना उत्कृष्ट वेदनीय वेदनाका स्वामी अनुत्कृष्ट वेदनीय वेदनाका स्वामी १६ १६ १८ १६ इसीप्रकार नाम और गोत्रके जाननेकी सूचना १८ उत्कृष्ट आयुवेदनाका स्वामी अनुत्कृष्ट आयुवेदनाका स्वामी जघन्य ज्ञानावरणीयवेदनाका स्वामी अजघन्य ज्ञानावरणीयवेदनाका स्वामी इसीप्रकार दर्शनावरण और अन्तरायके जानने की सूचना जघन्य वेदनीयवेदनाका स्वामी २१ २२ २३ २३ २३ विषय अजघन्य वेदनीय वेदनाका स्वामी जघन्य मोहनीयवेदनाका स्वामी अजघन्य मोहनीय वेदनाका स्वामी जघन्य आयुवेदनाका स्वामी अजघन्य आयुर्वेदनाका स्वामी जघन्य नामवेदनाका स्वामी अजघन्य नामवेदनाका स्वामी जघन्य गोत्रवेदनाका स्वामी अजघन्य गोत्र वेदनाका स्वामी अल्पबहुत्व के तीन भेद जघन्य पद जघन्य मोहनीय वेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य अन्तरायवेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य ज्ञानावरण और दर्शनावरण वेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य आयुवेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य गोत्रवदनाका अल्पबहुत्व जघन्य नामवेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य वेदनीयवेदनाका अल्पबहुत्व Pur ur up wyy www For Private & Personal Use Only पृष्ठ २६ २६ २६ २६ ३१ २८ २६ ३० ३१ ३१ ३१ ३२ ३३ ३४ ३४ ३५ ३५ ३६ ३६ उत्कृष्ट पद उत्कृष्ट आयुर्वेदनाका अल्पबहुत्व दो आवरण और अन्तराय वेदनाका अल्पबहुत्व ३७ ३७ उत्कृष्ट मोहनीनवेदनाका अल्पबहुत्व उत्कृष्ट नाम और गोत्रवेदनाका अल्पबहुत्व ३७ उत्कृष्ट वेदनीयवेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य और उत्कृष्ट दोनों का एकसाथ अल्पबहुत्व ३८ जघन्य मोहनीय वेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य अन्तरायवेदनाका अल्पबहुत्व जघन्य दो आवरणवेदनाका अरुपबहुत्व ३५ ३८ ३८ ३८ www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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