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________________ ४, २, ६, १६४.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अप्पाबहुअपरूवणा [२८३ मोहणीयस्स जहणिया आषाहा संखेनगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। आउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । आउअस्स णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि असंखेजगाणि । को गुणगारो ? पलिदोवमवग्गमूलस्स असंखेनदिभागो। णामा-गोदाणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि असंखेजगुणाणि । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो। चदुण्णं कम्माणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि संखेजगुणाणि । अटण्णं कम्माणमेगपदेसगुणहाणिहाणंतराणि असंखेजगुणाणि । को गुणगारो ? असंखेजपलिदोवमपढमवग्गमूलाणि । सत्तण्हं कम्माणमेयमाबाहाकंदयमसंखेजगुणं । को गुणगारो ? णाणागुणहाणिसलागाणमसंखेजदिभागो । आउअस्स हिदिबंधहाणाणि असंखेजगुणाणि । को गुणगारो ? अंतोमुहुत्तं । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणाणि असंखेजगुणाणि । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो। चदुण्णं कम्माणं द्विदिबंधहाणाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधट्ठाणाणि संखेजगुणाणि । णामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। __ असण्णिपंचिंदियअपजत्तयाण णामा-गोदाणं आबाहट्ठाणाणि आबाहाकंदयाणि च अधिक है । मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। आयुके आवाधास्थान संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। आयुके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमके वर्गमूलका असंख्यातवां भाग है । नाम-गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानन्तर असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है। चार काँके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं। मोहनीयके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर संख्यातगुणे हैं। आठ कर्मों के एक प्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमके असंख्यात प्रथम वर्गमूल हैं । सात कौंका आवाधाकाण्डक असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है? गुणकार नानागुणहानिशलाकाओंका असंख्यातवां भाग है। आयुके स्थितिबन्धस्थान असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है? गुणकार अन्तर्मुहूर्त है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। नाम-गोत्रके स्थितिबन्धस्थान बसंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है । चार कोंके स्थितिबन्धस्थान विशेष अधिक हैं। मोहनीयके स्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं। माम गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है चार काँका जघन्य स्थितिबन्धविशेष अधिक है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उत्कृष्ट स्थितिषन्ध विशेष आ ___ असंही पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकोंके नाम-गोत्रके आवाधास्थान और आषाधाकाण्डक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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