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• २३०] . छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ६, ६९. - केत्तियमेत्तो' विसेसो ? पलिदोवमस्स असंखेनदिमागपमाणवीचारहाणमेत्तो।
सुहुमेइंदियअपज्जत्तयस्स जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ ॥ ६९ ॥
केत्तियमत्तो विसेसो ? बादरेइंदियअपजत्तयस्स जहण्णहिदिबंधादो सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स हेहिमवीचारहाणमत्तो।
तस्सेव अपज्जत्तयस्स उक्कस्सओ द्विदिबंधो विसेसाहिओ॥ ७०॥ केत्तियमत्तो विसेसो १ सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स वीचारहाणमेत्तो । बादरेइंदियअपज्जत्तयस्स उक्कस्सओ ट्ठिदिबंधो विसेसाहिओ ॥ ७१ ॥
केत्तियमेत्तो विसेसो ? सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स उक्कस्सट्ठिदिबंधादो उवरिमबादरेइंदियअपजत्तवीचारहाणमेत्तो।
सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स उक्कस्सओ द्विदिबंधो विसेसाहिओ ॥ ७२ ॥ केत्तियमेतेण ? बादरेइंदियअपज्जत्त-उक्कस्सटिदिबंधादो उवरिमेण बादरेइंदियअपजत्त
विशेष कितना है ? वह पल्योपमके असंख्यात भाग प्रमाण वीचारस्थानके बराबर है।
उससे सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ ६९॥ विशेष कितना है.? वह बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके जघन्य स्थितिबन्धसे सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त सम्बन्धी नीचेके वीचारस्थानके बराबर है।
उसी अपर्याप्तकका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ ७० ॥ विशेषका प्रमाण कितना है ? सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके वीचारस्थानके बराबर है। . बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ ७१ ॥
विशेष कितना है ? वह सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके उत्कृष्ट स्थितिबन्धसे ऊपरके बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तके वीचारस्थानके बराबर है।
सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ ७२ ॥ वह कितने प्रमाणसे अधिक है ? यह बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके उत्कृष्ट स्थिति
१ ताप्रतौ केत्तिओ' इति पाठः।
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