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________________ क्रम १ २ विषय-सूची विषय ५ वेदना क्षेत्रविधान वेदना क्षेत्रविधानमें ज्ञातव्य पदमीमांसा आदि ३ अनुयोगद्वारोंका उल्लेख क्षेत्रके सम्बन्धमें नामादि निक्षेपोंकी योजना ( पदमीमांसा ) ३ पदमीमांसा में क्षेत्रकी अपेक्षा ज्ञानावरणकी वेदना सम्बन्धी उत्कृष्ट अनुत्कृष्ट आदि १३ पदोंका विचार ४ शेष कर्मोंके उक्त पदोंका विचार १७ उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा ज्ञानावरणादि कर्मोंकी क्षेत्रवेदनाका अल्पबहुत्व | १८ जघन्य - उत्कृष्ट पदकी अपेक्षा उक्त वेदनाका अल्पबहुत्व | १९ मूल सूत्रोंद्वारा सब जीवोंमें अवगाहनामेदोंके अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा । Jain Education International पृष्ठ ( स्वामित्व ) ५ स्वामित्वके जघन्य व उत्कृष्ट पदविषयक २ भेदोंका निर्देश ६ जघन्यके विषयमें नामादि निक्षेपोंकी योजना ७ उत्कृष्टके विषय में नामादि निक्षेपोंकी योजना ८ क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट ज्ञानावरणीयवेदनाके स्वामी की प्ररूपणा ९ क्षेत्रतः अनुत्कृष्ट ज्ञानावरणीयवेदनाके स्वामीकी अनेक विकल्पों में प्ररूपणा २३ १० अनुत्कृष्ट क्षेत्र विकल्पों के स्वामियोंका प्ररूपणा आदि ६ अनुयोगद्वारोंके द्वारा निरूपण । २७ ११ दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तरायकी उत्कृष्ट व अनुत्कृष्ट क्षेत्रवेदनाकी प्ररूपणा ज्ञानावरणीय समान बतलाकर वेदनीय कर्मकी उत्कृष्ट वेदनाके स्वामीका निरूपण । १२ वेदनीय कर्मकी अनुत्कृष्ट क्षेत्रवेदनाके स्वामीकी प्ररूपणा करते हुए प्ररूपणा आ ६ अनुयोगद्वारोंके द्वारा अनुत्कृष्ट क्षेत्रभेदोंके स्वामियोंका निरूपण २९ १३ वेदनीय कर्मके ही समान आयु, नाम और गोत्रकी उत्कृष्ट क्षेत्रवेदना बतला कर क्षेत्रतः ज्ञानावरणीयकी जघन्य वेदनाके स्वामीका निरूपण १४ वेदनीय सम्बन्धी अनुत्कृष्ट क्षेत्रवेदनाके स्वामियोंकी अनेक भेदोंमें प्ररूपणा करते हुए चौदह जीवसमासोंमें क्रमशः वृद्धिको प्राप्त होनेवाले अवगाहनाभेदोंकी प्ररूपणा ( अल्पबहुत्व ) १५ अल्पबहुत्वप्ररूपणा में जघन्य, उत्कृष्ट और जघन्य उत्कृष्ट पदविषयक ३ अनुयोगद्वारों का उल्लेख । १६ जघन्य पदकी अपेक्षा आठों कर्मोंसम्बन्धी जघन्य क्षेत्रवेदनाकी परस्पर समानताका उल्लेख । For Private & Personal Use Only १ २ ३ ११ 33 33 १३ १४ ३० ३३ ३६ ५३ "" ५४ ५५ ५६ www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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