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४ २, ४, १४.] वेयणमहाहियारे वेयणदव्याविहाणे सामित्तं
[१९ पज्जत्तएसु उजुगदीए उक्कस्सजोगेण तप्पाओग्गुक्कस्सकसाएण च उप्पण्णपढमसमए अंतोकोडाकोडीए ठिदि बंधदि । एइंदिएसु बद्ध समयपबद्धे आबाधं मोत्तूग तिस्से उवरि उक्कड्डमाणो किं सवे सममुक्कड्डिज्जति' आहो अण्णहा इदि उत्ते वुच्चदे- कम्मट्ठिदिआदिसमयपबद्धकम्मपोग्गलक्खंधा अंतोमुहुत्तूणतसहिदिमुक्कड्डिज्जति, एत्तियमेत्तसत्तिहिदिसेसादो । बिदियसमए पबद्ध। तत्तो जाव समउत्तरहिदी ता उक्कड्डिज्जदि, तस्स सम उत्तरसत्तिढिदिसेसाद। । एवं सवे समयपबद्धा सम उत्तरकमेणुक्कड्डिज्जति । जस्स समयपबद्धस्स सत्तिट्ठिदी वट्टमाणबंधट्ठिदिसेमाणा सो समयपबद्धो वट्टमाणबंधचरिमहिदि त्ति उक्कड्डिज्जदि। एसो समयपबद्धो कम्महिदीए केत्तियमद्धाणं चडिदूण पबद्धो ? कम्महिदिपढमसमयप्पहुडि अंतोमुहत्तणतसहिदिविसुद्धवट्टमाणबंधहिदिमेतं चढिदूण पबद्धो । एदम्हादो उवरि समयपबद्धाणमुक्कड्डणा एदस्साणंतरादीदसमयपबद्धस्स उक्कड्डणाए तुल्ला ।
बादर त्रस पर्याप्तकोंमें ऋजुगति, उत्कृष्ट योग और उसके योग्य उत्कृष्ट कषायसे उत्पन्न होनेके प्रथम समयमें अन्तःकोड़ाकोडि प्रमाण स्थितिको बांधता है।
शंका-एकेन्द्रियों में बांधे हुए समयप्रबद्धोंका आबाधाको छोड़कर उसके ऊपर उत्कर्षण करता हुआ क्या सबका एक साथ उत्कर्षण करता है अथवा अन्य प्रकारसे ?
__ समाधान-इस प्रकार पूछनेपर उत्तर देते हैं-कर्मस्थितिके प्रथम समयमें बांधे हुए कर्म पुद्गलस्कन्धोंका अन्तर्मुहूर्त कम त्रसस्थिति काल प्रमाण उत्कर्षण किया जाता है, क्योंकि, इनकी इतनी शक्तिस्थिति शेष है। द्वितीय समयमें बांधे हुए समयप्रबद्धका उसले एक समय अधिक त्रसस्थितिकाल प्रमाण उत्कर्षण किया जाता है, क्योंकि, उसकी एक समय अधिक शक्तिस्थिति शेष है । इस प्रकार आगेके सर समयप्रबद्धोंका एक एक समय अधिकके क्रमसे उत्कर्षण किया जाता है। जिस समयप्रबद्धकी शक्तिस्थिति वर्तमान में बंधे हुए कर्मकी स्थितिके समान है उस समयप्रवद्ध का वर्तमान में बंधे हुए कर्मको अन्तिम स्थिति तक उत्कर्षण किया जाता है।
शंका - यह समयप्रबद्ध कर्मस्थितिका कितना काल जाने पर बांधा गया है ?
समाधान-कर्मस्थितिके प्रथम समयसे लेकर अन्तर्मुहूर्त कम त्रसस्थितिसे रहित वर्तमान समयप्रबद्ध की स्थिति मात्र चढ़कर बांधा गया है।
इससे आगेके समयप्रबद्धोंका उत्कर्षण इसके अनन्तर अतीत समयप्रबद्धके उत्कर्षणके समान है।
१ अप्रतौ 'समुक्कड्डि', काप्रती 'सममुक्कड्डि' इति पाठः । २ प्रतिषु ' -वट्टमाणखंडविदि-' इति पाठः ।
३ अ-आ-काप्रतिषु · उवरिमसमय- ' इति पाठः । क. वे, ७.
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