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________________ १,३१, १२.] वेयणमहाहियारे वेयणदव्वविहाणे सामित्तं । ४५ णाणावरणीय-दसणावरणीय-वेयणीय-अंतराइयाणं तिण्णिवाससहस्समाबा, मोतूण जे पढमसमए पदेसग्गं णिसित्तं तं बहुगं, जं बिदियसमए णिसित्तं पदेसग्गं तं विसेसहीणं, एवं णेदव्वं जावुक्कस्सेण तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ ति कालविहाणे उक्कस्सठिदीए वि अणुलोमपदेसविण्णासदसणादो । एदेण कालविहाणसुत्तुद्दिट्ठपदेसविण्णासेण कधमेदं वक्खाणं ण बाहिज्जदे १ ण, गुणिद-घोलमाणादिविसए वट्टमाणे,ण सावकासेण कालसुत्तेण एदस्स वक्खाणस्स पाहाणुववत्तीदो। उच्चारणाए व भुजगारकालभतरे चेव गुणिदत्तं किण्ण उच्चदे ? ण, अप्पदरकालादो गुणिदभुजगारकालो बहुगो त्ति वुवदेसमवलंबिय एदस्त सुत्तस्स पउत्तीदो । बहुसो बहुसो उक्कस्साणि जोगट्ठाणाणि गच्छदि ॥ १२ ॥ बहुसो उक्कस्सजोगट्ठाणगमणे को लाहो ? बहुपदेसागमणं । कुदो ? जोगादो और अन्तराय कर्मके तीन हजार वर्ष प्रमाण आबाधाको छोड़कर जो प्रथम समयमें प्रदेशाग्न निषिक्त होता है वह बहुत है। जो द्वितीय समयमें प्रदेशाग्र निषिक्त होता है वह विशेष हीन है। इस प्रकार उत्कृष्ट रूपसे तीस कोड़ाकोड़ि सागरोपम तक ले जाना चाहिये । इसकार कालविधानमें उत्कृष्ट स्थितिका भी अनुलोमक्रमसे प्रदेशविन्यास देखा जाता है। अतः इस कालविधानसूत्र में कहे गये प्रदेशविन्याससे यह व्याख्यान कैसे नहीं बाधित होगा? समाधान-- नहीं, क्योंकि, गुणित व घोलमान आदिके विषयमें आये हुए कालसूत्रसे इस व्याख्यानका बाधा जाना सम्भव नहीं है। शंका-उच्चारणाके समान भुजगारकालके भीतर ही गुणितत्व क्यों नहीं कहते ? समाधान- नहीं, क्योंकि, ' अल्पतरकालसे भुजगारकाल बहुत है' इस उपदेशका अवलम्बन करके वह सूत्र प्रवृत्त हुआ है। बहुत बहुत बार उत्कृष्ट योगस्थानोंको प्राप्त होता है ॥ १२ ॥ .. शंका- बहुत बार उत्कृष्ट योगस्थानोंको प्राप्त करने में क्या लाभ है? सभाधान-उत्कृष्ट योगस्थानोंके द्वारा बहुत प्रदेशोंका आगमन होता है, क्योंकि, १ कांप्रती ' गुणिदम्वे ' इति पाठः। २. प्र. २-७५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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