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छक्खंडागमे वेयणाखंड [४, २, ४, १९६. छअंतराणि उल्लंघिय वत्तव्वं, तत्थ हेडिमजोगट्ठाणे पलिदोवमस्स असंखेज्जदिमागेण गुणिदे उवरिमजोगट्ठाणुप्पत्तीदो।
___संपहि देसामासियभावेण एदेहि अणियोगद्दारेहि सूचिदअवहारकालादिपरूवणमेत्थ कस्सामो। तं जहा- जहण्णजोगट्ठाणपमाणेण सव्वजोगट्ठाणाणि केवचिरेण कालेण अवहिरिजंति १ सेडीए असंखेज्जदिभागमेत्तेण । तं जहा- जहण्णजोगट्ठाणादो पक्खेवुत्तरकमेण गदसव्वजोगट्ठाणाणि छण्णमंतराणमभावेण पुन्विल्लदीहत्तादो सादिरेयदीहभावाणि द्वविय मूलग्गसमासं कादूण अद्धिय ढविदे पुव्विल्लायाममेत उक्कस्सजोगट्ठाणद्धाणि जहण्णजोगट्ठाणद्धाणि च लभंति । पुणो अद्धियएगखंडस्सुवरि बिदियखंडे ठविदे पुचिल्लायामद्धमत्ताणि जहण्णजोगट्ठाणाणि उक्कस्सजोगट्ठाणाणि च होति । एवं होति त्ति कादूण रचिदजोगट्ठाणद्धाणद्धण रूवाहियजोगगुणगारगुणिदेण जहण्णजोगट्ठाणे गुणिदे जहण्णजोगट्ठाणपमाणेण सव्वजोगट्ठाणाणि आगच्छंति । पुणो रूवाहियजोगगुणगारगुणिदजोगट्टाणद्धाणद्धेण पुन्विल्लरासिम्हि भागे हिदे जहण्णजोगट्ठाणमागच्छदि । तेण जहण्णजोगट्ठाणस्स सेडीए असंखेज्जदिभागो भागहारा होदि ति वुत्तं ।
कथन करना चाहिये, क्योंकि, वहां अधस्तन योगस्थानको पल्योपमके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर उपरिम योगस्थान की उत्पत्ति है।
अब देशामर्शक स्वरूपसे इन अनुयोगद्वारोंके द्वारा सूचित अवहारकाल आदिकी प्ररूपणा यहां करते हैं। वह इस प्रकार है- जघन्य योगस्थानके प्रमाणसे सब योगस्थान कितने कालसे अपहृत होते हैं ? वे श्रेणिके असंख्यातवें भाग मात्र कालसे अपहृत होते हैं । यथा- जघन्य योगस्थानसे आगे प्रक्षेप अधिक क्रमसे गये हुए सब योगस्थानोंको छह अन्तरोंका अभाव होनेसे पूर्वकी दीर्घतासे साधिक दीर्घता युक्त स्थापित कर मूलाग्रसमास करके आधा कर स्थापित करनेपर वे पूर्वके आयाम प्रमाण उत्कृष्ट योगस्थानोंके आधे और जघन्य योगस्थानोंके आधे प्राप्त होते हैं। पुनः अर्धित एक खण्डके ऊपर द्वितीय खण्डको स्थापित करनेपर चूंकि पूर्वोक्त आयामसे अर्ध आयाम प्रमाण जघन्य योगस्थान और उत्कृष्ट योगस्थान होते हैं, अत एव रूप अधिक योगगुणकारसे गुणित ऐसे रचित योगस्थानाध्वानके अर्ध भागसे जघन्य योगस्थानको गुणित करनेपर जघन्य योगस्थानके प्रमाणसे सब योगस्थान आते हैं। पुनः एक अधिक योगगुणकारसे गुणित योगस्थानाध्वानके अर्ध भागका पूर्वोक्त राशिमें भाग देनेपर जघन्य योगस्थान आता है। इसी कारण जघन्य योगस्थानका भागहार श्रेणिके असंख्यातवें भाग प्रमाण होता है, ऐसा कहा गया है।
१ प्रतिषु · लद्धिय' इति पाठः। २ आप्रतो. ' उक्कस्सजोगहाणवाणि उक्कस्सजोगजहणजोगदाणद्वाणाणि' इति पाठः। ३ ताप्रतौ 'जोगदाणद्धाणेण' इति पाठः ।
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