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४, २, ४, ३.] वैयणमहाहियारे दव्वाविहाणे पदमीमांसा अणादिम्मि उक्कस्सादिपदावेक्खाए सादियत्तविरोहामावादो । सिया धुवा, वेयणासामण्णस्स विणासाभावादो । सिया अडवा, पदविसेसस्स विणासदसणादो । सिया ओजा,सिया जुम्मा, सिया ओमा, सिया विसिट्ठा, सिया णोमणोविसिट्ठा । एवमणादियवेयणाए पारसभंगा |१२|| एसो सत्तमसुत्तत्थो।
धुवणाणावरणीयवेयणा सिया उक्कस्सा, सिया अणुक्कस्सा, सिया जहण्णा, सिया. अजहण्णा, सिया सादिया, सिया अणादिया, सिया अडुवा, सिया ओजा, सिया जुम्मा, सिया ओमा, सिया विसिट्ठा, सिया णोमणोविसिट्ठा । एवं धुवपदस्स बारसभंगा तेरसभंगा वा | १२|| . एसो अट्ठमसुत्तत्थो।
अडवणाणावरणीयवेयणा सिया उक्कस्सा, सिया अणुक्कस्सा, सिया जहण्णा, सिया अजहण्णा, सिया सादिया, सिया ओजा, सिया जुम्मा, सिया ओमा, सिया विसिहा, सिया णोमणोविसिट्ठा । एवमडुवपदस्स दस एक्कारस भंगा वा । १० । एसो णवमसुत्तत्थो ।
ओजणाणावरणीयवेयणा सिया उक्कस्सा, सिया अणुक्कस्सा, सिया अजहण्णा, सिया
आदि पर्दोकी अपेक्षा सादि होने में विरोध नहीं है ।
कथंचित् ध्रुव है, क्योंकि, वेदनासामान्यका विनाश नहीं होता। कथंचित् अध्रुव है, क्योंकि, पदविशेषका विनाश देखा जाता दै। कथंचित् ओज है, कथंचित् युग्म है, कथंचित् ओम है, कथंचित् विशिष्ट है, और कथंचित् नोओम-नोविशिष्ट है। इस प्रकार अनादि वेदनाके बारह भंग हैं | १२|। यह सातवें सूत्रका अर्थ है ।
ध्रुव ज्ञानावरणीयवेदना कथंचित् उत्कृष्ट है, कथंचित् अनुत्कृष्ट है, कथंचित् जघन्य है, कथंचित् अजघन्य है, कथंचित् सादि है, कथंचित् अनादि है, कथंचित् अध्रुव है, कथंचित् ओज है, कथंचित् युग्म है, कथंचित् ओम है, कथंचित् विशिष्ट है, और कथंचित् नोओमनोविशिष्ट है। इस प्रकार ध्रुव पदके बारह अथवा तेरह भंग हैं | १२ | । यह आठवें सूत्रका अर्थ है।
. अध्रुव ज्ञानावरणीयवेदना कथंचित् उत्कृष्ट है, कथंचित् अनुत्कृष्ट है, कनि जघन्य है, कथंचित् अजघन्य है, कथंचित् सादि है, कथंचित् ओज है, कथंचित् युग्म ... कथंचित् ओम है, कथंचित् विशिष्ट है, और कथंचित् नोओम-नोविशिष्ट है। इस प्रव. अवध पदके दस अथवा ग्यारह भंग हैं |१०|। यह नौवें सूत्रका अर्थ है ।
भोज ज्ञानावरणीयवेदना कथंचित् उत्कृष्ट है, कथंचित् अनुत्कृष्ट है, कथंचित्
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