________________
२४६ छक्खंडागमे वेयणाखंड
।४, २, ४, ४६. एगादिएगुत्तरकमेण रूवूणपुव्वकोडिआयामेण चेटुंति ।
पुणो एदेसिं विसेसाणं समकरणं कस्सामा । तं जहा- बिदियणिसेयम्मि अवणिदविसेसेसु दुचरिमणिसेयम्मि अवणिदएगविसेसे पक्खित्ते रूबूणपुवकोडिमेत्ता विसेसा होति । तिचरिमंगोवुच्छादो अवणिददोगोवुच्छविसेसे तदियम्मि गोउच्छम्मि अवणिदविसेसेसु पक्खित्ते एदे वि तत्तिया चेव होति । एवं सव्वविसेसे घेत्तूण परिवाडीए पक्खित्ते रूऊणपुवकोडिमेत्तगोवुच्छविसेसविक्खंभं पुव्वकोडिअद्धायामखेत्तं होदूण चेट्ठदि । पुणो एदं मज्झम्मि पाडिय उवरि संधिदे मज्झिमगोवुच्छम्मि अवणिदगोउच्छविसेसविक्खंभ-पुरकोडिआयाम
खेत्तं होदि । एद' चरिमणिसेगविक्खंभ-पुव्वकोडिआयामखेत्तम्मि आयामेण संधिदे मज्झिमजिसेगविक्खंभं पुवकोडिआयामं खेत्तं होदि । एसो मूलग्गसमासत्थो। तेण कारणेण पुवकोडीए समयपबद्धे भागे हिंदे मज्झिमणिसेगो आगच्छदि ति उत्तं ।
गोपुच्छविशेष भी एक आदि एक अधिकके क्रमले एक कम पूर्वकोटिके समय प्रमाण प्राप्त होते हैं।
विशेषार्थ-कर्मभूमिज मनुष्य या तिर्यच आयुका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध एक पूर्वकोटिसे अधिक नहीं होता। और एक गुणहानिका आयाम कमसे कम भी पल्यके असंख्यातवें भाग प्रमाण होता है । इसीसे यहां एक गुणहानिआयामका निषेध किया है।
___ अब इन गोपुच्छविशेषोंका समीकरण करते हैं । यथा - द्वितीय निषेकमें से निकाले हुए विशेषों में द्विचरम निषेकमैसे निकाले हुए एक विशेषको मिलानेपर एक कम पूर्वकोटिके समय प्रमाण विशेष होते हैं । त्रिचरम गोपुच्छामें से निकाले हुए दो गोपुच्छविशेषोंको तृतीय गोपुच्छमेंसे निकाले हुए विशेषों में मिलानेपर ये भी उतने (एक कम पूर्वकोटिके समय प्रमाण ) ही होते हैं। इस प्रकार सब विशेषों को ग्रहण कर परिपाटीसे रखने पर एक कम पूर्वकोटिके समय प्रमाण गोपुच्छविशेष विस्तारवाला और पूर्वकोटिके जितने समय हो उनके अर्ध भाग प्रमाण आयामवाला क्षेत्र होकर स्थित होता है। फिर इसे बीचमेंसे फाड़कर ऊपर मिला देनेपर मध्यम गोपुच्छ में से निकाले हुए जितने गोपुच्छविशेष हो उतने विस्तारवाला और पूर्वकोटि आयामवाला क्षेत्र होता है। फिर इसे अन्तिम निषेक प्रमाण विस्तारवाले और पूर्व कोटि प्रमाण आयामवाले क्षेत्रमें आयामकी ओरसे मिलानेपर मध्यम निषेक प्रमाण विस्तारवाला और पर्वकोटि आयामवाला क्षेत्र होता है। यह मूलाग्रसमासका अर्थ है। इस कारण पूर्वकोटिका समयप्रबद्ध में भाग देनेपर मध्यम निषेक आता है, ऐसा कहा है।
विशेषार्थ- यहां एक पूर्वकोटिके कुल समयों में उत्तरोत्तर चय कम निषेक क्रमसे बटे हुए कुल द्रव्यको मध्यम निषेकके कमसे करके बतलाया गया है। उदाहरणार्थ एक पूर्वकोटिके कुल समय ८ कल्पित किये जाते हैं। मान लो इनमें
१ तापतौ 'होतिति । चरिम-' इति पाठः। २ प्रतिषु ' एवं ' इति पाठः ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org