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________________ २३२ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड [ ४, २, ४, ३६. आउअं बंधमाणस्स बिदियाए आगरिसाए आउअवधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । बीहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स बिदियाए आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहणिया संखज्जगुणा । सा चैव उक्कस्सिया विसेसाहिया । अहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स पढमीए आगरिसाए आउ अबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । सत्तहि आगरिसाहि आउवं बंधमाणस्स पढमीए आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । छहि आगरिसाहि आउ धमाणस्स पढमी आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया | पंचहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स पढमीए आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहण्णिया संखेज्जगुणा । सा चैव उक्कस्सिया विसेसाहिया । चदुहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स पढमीए आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चैव उक्कस्सिया विसेसाहिया । तीहि आगरिसा हि आउअं बंधमाणस्स पढमीए आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चैव उक्कस्सिया विसेसाहिया । बीहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स पढमीए आगरिसाए आउअबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चैत्र द्वितीय अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। दो अपकर्षो द्वारा आयु बांधतेवालके द्वितीय अपकर्षमं प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है । आठ अपकर्षो द्वारा आयु बांधनेवाले के प्रथम अपकर्षमें प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है | वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है । सात अपकर्षो द्वारा आयु बांधनेवाले के प्रथम अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्त से संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यले विशेष अधिक है। छह अपकर्षो द्वारा आयु बांधनेवाले के प्रथम अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्त से संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यले विशेष अधिक है । पांच अपकर्षो द्वारा आयुको बांधनेवाले प्राप्त होनेवाला प्रथम अपकर्ष में जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्त से संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है | चार अपकर्षो द्वारा आयु बांधनेवालेके प्राप्त होनेवाला प्रथम अपकर्षमें जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। तीन अपक द्वारा आयु बांधनेवाले के प्रथम अपकर्षमें प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्त से संख्यातगुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्य से विशेष अधिक है । दो अपकर्षो द्वारा आयु बांधनेवाले के प्रथम अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धकाल पूर्वोक्त से संख्यातगुणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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