SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४, २, ४, ३६. यणमहाहियारे वेयणदत्वविहाणे सामित्त चेव उक्कस्सियां विसेसादिया । अट्ठहि आगरिताहि आउअं बंधमाणस्स सत्तमीए आगरिसाए आउवबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । सत्तहि आगरिसाहि आउवं बंधमाणस्स सत्तमीए आगरिसाए आउवबंधगद्धा जष्णिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । अट्ठहि आगरिसाहि आउवं बंधमाणस्स छट्ठीए आगरिसाए आउवबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । सत्तहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्य छठ्ठीए आगरिसाए आउबंधगद्धा जण्णिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । छहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्त छट्ठीए आगरिसाए आउवबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । अहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स पंचमीए आगरिसाए आउधगद्वा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसे साहिया । सत्तहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्त पंचमीए आगरिसाए आउवबंधगद्धा जहणिया संखेज्जगुणा । सा चेव उक्कस्सिया विसेसाहिया । छहि आगरिसाहि आउअं बंधमाणस्स पंचमीए आगरिसाए आउवबंधगद्धा जह वहीं उत्कृष्ट आयुबन्धककाल उससे विशेष अधिक है। आठ अपकर्षों द्वारा आयुको बांधनेवाले जीवके सातवें अपकर्ष में जघन्य आयुबन्धककाल आठवें अपकर्षकालसे संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट आयुबन्धककाल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। सात अपकर्षों द्वारा आयु बांधनेवालेके सातवें अपकर्षमें जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है । आठ अपकर्षों द्वारा आयु बांधनेवालेके छठे अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। सात अपकर्षों द्वारा आयु बांधनेवालेके छठे अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। छह अपकर्षों द्वारा आयुको बांधनेवालेके छठे अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल संख्यात गुणा है । वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। आठ अपकर्षों द्वारा आयु बांधनेवाले के पांचवें अपकर्षमें प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धकाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यले विशेष अधिक है । सात अपकर्षों द्वारा आयु बांधनेवाले के पांचवें अपकर्ष में प्राप्त होनेवाला जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक है। छह अपकर्षों द्वारा आयु बांधनेवालेके प्राप्त होनेवाला पांचवें अपकर्षमें जघन्य आयुबन्धककाल पूर्वोक्तसे संख्यातगुणा है। वही उत्कृष्ट काल अपने जघन्यसे विशेष अधिक वामती ' . बंधगद्धा । जहणिया सा चैव । उक्कस्सिया' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy