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२२२] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ४, ३३. तरोवणिवत्तादो । सेडिपरूवणा गदा ।
अवहारो उच्चदे । तं जहा -- अणुक्कस्सजहण्णट्ठाणजीवपमाणेण सव्वजीवा केवचिरेण कालेण अवहिरिजंति ? पदरस्स असंखेज्जदिभागमेत्तेण, तसजीवाणं चदुब्भागेण अवहिरिजंति त्ति भागिदं होदि । एत्थ गहिदगहिदं कादूण भागहारो साहेयव्वो । एवं सव्वाणुक्कस्सपदेसट्ठाणाणं अवहारकालो तप्पाओग्गासंखज्जो होदि त्ति वत्तव्यो । उक्कस्सट्टाणजीवाणमवहारो पदरस्स असंखेज्जदिभागो, आवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तेहि उक्कस्सट्ठाणजीवेहि सव्वतसजीवरासिम्हि भागे हिदे पदरस्स असंखेज्जदिमागुवलंभादो। एवमवहारकालपरूवणा गदा ।
भागाभागस्स अवहारभंगो। अप्पाबहुगं उच्चदे- सव्वत्थोवा अणुक्कस्सजहण्णद्वाणजीवा |४|| उक्कस्सट्ठाणजीवा असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो। अजहण्णअणुक्कस्सएसु ठाणेसु जीवा असंखज्जगुणा । गुणगारो पदरस्स असंखज्जदिभागो। अणुक्कस्सहाणजीवा विसेसाहिया अणुक्कस्सजण्णट्ठाणजीवमेत्तेण । अजहण्णएसु ठाणेसु जीवा विसेसाहिया जहण्णट्ठाणजीवणूणउक्कस्सट्ठाणजीवमेत्तेण। सव्वेसु
शक्य नहीं है, क्योंकि, अनन्तरोपनिधा अज्ञात है। श्रेणिप्ररूपणा समाप्त हुई।
अवहारका कथन करते हैं। यथा-अनुत्कृष्ट जघन्य स्थानवाले जीवोंके प्रमाणसे सब जीव कितने कालमें अपहृत होते हैं ? वे प्रतरके असंख्यातवें भाग मात्र कालसे अपहृत होते हैं, अर्थात् त्रस जीवोंके चतुर्थ भागसे अपहृत होते है, यह उक्त कथनका तात्पर्य है । यहां गृहीत-गृहीत विधिसे भागहार सिद्ध करना चाहिये । इसी प्रकार सब अनुत्कृष्ट प्रदेशस्थानोंका अवहारकाल तत्प्रायोग्य असंख्यात प्रमाण है, ऐसा कहना चाहिये । उत्कृष्ट स्थानवाले जीवोंका अवहारकाल प्रतरके असंख्यातवें भाग प्रमाण है, क्योंकि, आवलीके असंख्यातवें भाग मात्र उत्कृष्ट स्थानवाले जीवोंका सब प्रस जीवराशिमें भाग देने पर प्रतरका असंख्यातवां भाग पाया जाता है । इस प्रकार अवहारकालप्ररूपणा समाप्त हुई।
___ भागाभागकी प्ररूपणा अवहारकालके समान है । अल्पबहुत्वका कथन करते हैं- अनुत्कृष्ट जघन्य स्थानवाले जीव सबमें स्तोक हैं | ४]। उनसे उत्कृष्ट स्थानवाले जीव असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है। उनसे अजघन्यअनुत्कृष्ट स्थानोंमें रहनेवाले जीव असंख्यातगुणे हैं । गुणकार प्रतरका असंख्यातवां भाग है । उनले अनुत्कृष्ट स्थानवाले जीव विशेष अधिक हैं। कितने विशेष अधिक हैं ? अनुत्कृष्टजघन्य स्थानवाले जीवोंका जितना प्रमाण है उतने विशेष अधिक हैं। उनसे अजघन्य स्थानोंमें स्थित जीव जघन्य स्थानवाले जीवोंसे रहित
१ तापतौ ' एन्थ । इत्येतत् पदं नास्ति ।
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