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________________ २०४ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड [ ४, २, ४, ३२. 16/ विसेसा च अद्भुद्वेण गच्छति | ६३०० |८|३१०० | ८ | १५०० | ८ | ७०० ५१२ | ७८ | २५६ | ७८ | १२८ | ७८ | ६४ | ७८ | ३२ । ७८ | ३०० २ २ २ •|-| Jain Education International १०० १६ | ७८ | ५१२ | ६७ | २५६ ६७ १२८ ६७ | ६४ | ६७ | ३२ / ६७ | १३ | ६७ १२ २ १२ १२ १२ १२ १२ दाणि दो विरिणाणि घणते' ठविय एदेसिं संकलणं कस्सामा । तं जहा - रूवाहियणाणागुणहाणि सलागाओ विरलिय विंग करिय अण्णोष्णन्भत्थरासिणा दुरूवाहियणाणागुणहाणिसला गाहि ऊणेण णाणागुणहाणिसला गाओ विरलिय विंगं करिय अण्णोष्णन्भत्थरासिणा रूवूणेणोवट्टिदेण गुणहाणिमेतसमयपबद्धे गुणिदे सन्वदव्वमागच्छदि | ६३००१८-| | १२० | | पुणो णाणागुणहाणिसलागाओ विरलिय विगं करिय अण्णोष्णन्भत्थरासिणा ६३ | रूवूणेण अण्णोण्णब्भत्थरासिअ वट्टिदेण दो वि रिणरासीओ गुणिदे एत्तियं विशेषता इतनी है कि गोपुच्छ और गोपुच्छविशेष आधे ६३०० × ८, ३१०० × ८, १५०० × ८, ७००X८, ३०० × ८, १०० × ८ २५६ × ( १ × ई ), १२८ × (ई ), ६४ ( ), ३२ ( × ५१२ × ( ६१७ ), २५६ × ( १२८ x ( आधे स्वरूपसे जाते हैं । ५१२ × (×ई ), ), १६ × (× ई)। ६४ x ( ६ × ७), ६ x ७ ६४७ -), સ્ १२ १२ ६४७ १२ ६७ १२ ), ३२ × (६२), १६ × ( )। इन दोनों ही ऋण राशियोंको धनके अन्तमें स्थापित करके इनका संकलन करते हैं । वह इस प्रकार है - एक अधिक नानागुणहानिशलाकाओंका विरलन कर दुगुणा करके परस्पर गुणा करनेपर जो राशि प्राप्त हो उसमें से दो अधिक नानागुणहानिशलाकाओंको कम करके शेषको, नानागुणहानिशलाकाओं का विरलन कर दुगुणा करके परस्पर गुणित करनेपर प्राप्त राशिमेंसे एक कम करके जो शेष रहे उससे अपवर्तित करना चाहिये । इस प्रकार जो लब्ध हो उससे गुणहानि प्रमाण समयप्रबद्धको गुणित करनेपर समस्त द्रव्य आता है - [ एक अधिक नानागुण हानिशलाकाएं ६ + १ २ २ २ इनकी अन्योन्याभ्यस्त राशि १२८, दो अधिक नानागुणहानिशलाका २ २ २ इनकी अन्योन्याभ्यस्त ६ + २ = ८; १२८ - ८ = १२०; ना. गु. शलाका दे राशि ६४; ६४ - १ = ६३ ] ६३०० × ८ × = ( ६३०० × ८ ) + ( ३२०० × ८ ) + ( १५०० × ८ ) + ( ७०० × ८ ) + ( ३०० × ८ ) + ( १०० × ८ ) = ९६००० | फिर नानागुणहानिशलाकाओंका विरलन कर दुगुणा करके परस्पर गुणा करनेपर जो राशि प्राप्त हो उसमेंसे एक कम करके शेषको अन्योन्याभ्यस्त राशिके अर्ध भागसे अपवर्तित करे | ऐसा करनेसे जो लब्ध हो उससे दोनों ही ऋण राशियोंको गुणित करनेपर इतना होता है - ५१२ × ( * ) x = ( ५१२×२८ ) + (२५६x२८ ) == ७; २ २ · , · 9 . २ ง , १२.० . ६३ ३२ २ = २८२२४ । + ( १२८ × ६८ ) + (६४ × २८ ) + ( ३२× २८) + (१६×२८ ) ५१२ × (६२७)) ) + ( १२८ × ४२ ) + ( ६४ x = X- ( ५१२ × १३ ) + ( २५६ × ६३ ३२ ४२ १२ १ ताप्रतौ ' धणं ते ' इति पाठः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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