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५, २, ४, ३२.] वेयणमहाहियारे वेयणदव्वविहाणे सामित्तं
[१८७ कम्मढिदिपढमसमयादो तिण्णिगुणहाणीओ चडिदूण बर्द्धदव्वस्स भागहारोवट्टणरूवपमाणं सत्तदिवड्डगुणहाणीओ ६३००|| समयाहियतिण्णिगुणहाणीओ चडिदूण बद्धदव्वभागहारो ६३००। एवमुवीर |७०० वि भागहारविधी जाणिण वत्तव्वा । कम्मट्टिदिपढमसम-७७२ यादो जहण्णपरित्तासंखेज्जछेदणएहि ऊणसव्वगुणहाणिसलागमेत्तगुणहाणीसु बद्धसमयपबद्धाण कम्मट्ठिदिचरिमसमए असंखेज्जदिमागो चेव अच्छदि। सेसअसंखेज्जा भागा णट्ठा । उवरिमाणं पुण संखेज्जदिभागो सेसो, संखेज्जा भागा णट्ठा । एत्य कारणं जाणिय वत्तव्वं । एवं गंतूण कम्मट्ठिदिचरिमगुणहाणिं मोत्तण सेससव्वगुणहाणीओ चडिदूण बद्धदव्वभागहारो दोरूवाणि एगरूवमण्णोण्णब्भत्थरासिअहेण रूवूणेण खंडिदएगखंडं च होदि | २ | । एदेण समयपबद्ध भागे हिदे बिदियादिसव्वगुणहाणीणं दव्वमागच्छदि ।
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संपधि समयाहियमुवरि चडिदूण बद्धदव्वभागहारो वुच्चदे। तं जहा- बिदियादिगुणहाणिदव्वभागहारं विरलिय समयपबद्धं समखंडं करिय दिणे स्वं पडि बिदियादि
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कर्मस्थितिके प्रथम समयसे तीन गुणहानियां जाकर बांधे गये द्रव्यके भागहारके अपवर्तन अंकोंका प्रमाण सात डेढ गणहानियां ७x. = १०,७०० ६. = है। एक समय अधिक तीन गुणहानियां जाकर बांधे गये द्रव्यके भ अपवर्तन अंकोंका प्रमाण है। इसी प्रकार आगे भी भागहारकी विधिको जानकर कहना चाहिये। कर्मस्थितिके प्रथम समयसे लेकर जघन्य परीतासंख्यातके अर्धच्छदोसे हीन समस्त गुणहानिशलाकाओके बराबर गुणहानियोंमें बांधे गये समयप्रबद्धोंका असंख्यातवां भाग ही कर्मस्थितिके अन्तिम समयमें रहता है । शेष असंख्यात बहुभाग उनका नष्ट हो जाता है । इससे आगेकी गुणहानियोंमें बांधे गये समयप्रबद्धोंका संख्यातवां भाग ही रहता है, शेष संख्यात बहुभाग उनका नष्ट हो जाता है । यहां कारणकी प्ररूपणा जानकर करना चाहिये । इस प्रकार जाकर कर्मस्थितिकी अन्तिम गुणहानिको छोडकर शेष सब गुणहानियां जाकर बांधे गये द्रव्यका भागहा अंक और एक अंकको एक कम अन्योन्याभ्यस्त राशिके अर्ध भागसे खण्डित करनेपर उसमेंसे एक खण्ड अधिक होता है-२७। इसका समयप्रबद्ध में भाग देनेपर द्वितीयादिक सब गुणहानियोंका द्रव्य आता है [ ६३०० = ३१००] ।
_अब एक समय अधिक आगे जाकर बांधे गये द्रव्यका भागहार कहते हैं। वह इस प्रकार है-द्वितीयादिक गुणहानियों सम्बन्धी द्रव्यके भागहारका विरलन कर समयप्रबद्धको समखण्ड करके देनेपर एक अंकके प्रति द्वितीयादिक गुणहानियोंका
१ प्रतिधु 'बग्ग 'इति पाठः।
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