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________________ शुद्धि-पत्र [पुस्तक ९] पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ८१ १२ पचास पचवन १९१ २० पु. २, १९९ १३ चतुरिन्द्रिय रूप चतुरिन्द्रिय व पंचेन्द्रिय रूप २७८ २४ प्रत्येकशरीर पर्याप्त प्रत्येक शरीर ये पर्याप्त २९३ १९ उत्कर्षसे दो उत्कर्षसे साधिक दो ३२४ प्रहण ग्रहण ३२७ २७ हुए देव व नारकीके हुए मनुष्य व तिर्यचके ३३९ २० सघातन परिशातन ३५३ २२ ही संघातन ही जघन्य संघातन ३७४ २९ जीवों में तीनों पदोंकी जीवोंके पदोंकी ३८७ २६ एक कम एक समय कम ३९० १७ समय सात समय कम सात ,,' २३ संघातन-परिशातन संघातन व परिशातन , ३१ ३९१ २५ निगोद व बादर ... जीवोमें निगोद जीवों में ३९२ १४ संघातन कृतिका संघातन-परिशातन कृतिका __, २५ संघातन-परिशातन संघातन व परिशासन जानकर जानकार " , भावकरणकृति भावकृति [पुस्तक १०] ७ २ -दव्वट्टवणा -दव्वट्ठवणा णामण णामण १३ २ दंसणावरणीयवेणा दसणावरणीयवेयणा ३३ १३ योगस्थान योग ३४ २५ है उन सोंमें हैं उनका त्रसोंमें ६५ खविद-कम्मंसिय खविदकम्मंसिय ,, - १८ क्षपितकर्माशिकके भपित, क्षपितकोशिक, क्षपितघोलमान और गुणित व घोलमान पर्याप्त- गुणितघोलमान जीवोंके पर्याप्तभवोंकी अ भवोंकी अपेक्षा बहुत हैं। पेक्षा गुणितकर्माशिकके पर्याप्तभव बहुत हैं। ,, २२ क्षपितकर्माशिकके क्षपित क्षपितकौशिक, क्षपितघोलमान और गुणित व घोलमान अपर्याप्त- गुणितघोलमान जीवोंके अपर्याप्तभवोसे भवोंसे ... ३७ १० ॥९॥? ,, १३ क्षपितकर्माशिकके क्षपित- क्षपितकर्माशिक, क्षपितघोलमान और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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