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________________ ५१२ १४२ छवंडागमे बैयणाखंड [४, २, ४, ३३. असंखेज्जदिमागेणाहियएकरूवस्स परिहाणिदसणादो। १ ।। एदम्मि पत्ता । १२ । | १२८ अवणिदे गुणगारो आगच्छदि । तस्स पमाणदं ५७७९ | एदेण फलमणिसेगे गुणिदे एत्तियं होदि | ५७७९ ! अपढमदव्वं विसेसाहियं, चरिमणिसेगपवेसादो । ५७८८ । अचरिमदवं विसेसाहियं, चरिमणिलेंगेणूगपढमणिसेगप्पवेसादो | ६२९१ । सव्वासु हिदीसु दव्वं विसेसाहियं, चरिमणिसेगप्पादो। ६३ ।। एवमप्पाबहुगपरूवणा गदा । जेणेवमेगसमयपबद्धस्स रचणा होदि तेग कम्मद्विदिआदिसमयपत्रद्धसंचयस्स भाग हारो अंगुलस्स असंखेज्जदिभायो त्ति सिद्धा । पाहुडे अग्गट्ठिादेपत्तगम्मि भण्णमाणे एगसमयपबद्ध रस कम्मट्टिदिणिमित्तव्यस्त कालो दुधा गच्छदि सांतवेदगकालेण णिरंतरवेदगकालेण च । तत्थ बद्धसमयादो आवलियाअदिक्कंतो समयपबद्धो णियमेण ओकड्डिदूष वेदिज्जदि । तदो उवरि णिरंतरं पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तकालं णियमेण वेदिज्जदि । एक अंककी हानि देखी जाती है- ५२१ = १६९३ । इसको इसमें ( १२,३९ ) से घटा देनेपर गुणकार आता है। उसका प्रमाण यह है-- ६१-५२१-५६९। इससे प्रथम निषेकको गुणित करनेपर इतना होता है- ५७७९४५१२ = ५७७९ । अप्रथन ५१२ अचरम द्रव्यसे अप्रथम द्रव्य विशेष अधिक है, क्योंकि, उसमें अन्तिम निषेक प्रविष्ट है-५४७२+९= ५७.८। उससे अचरम द्रव्य विशेष अधिक है, क्योंकि उसमें चरम निषेकसे रहित प्रथम निषक प्रविष्ट है-७८८+ ५१२-९ = ६२९ । उसो सब स्थितियों का द्रव्य विशेष अधिक है, क्योंकि, उसमें अन्तिम निषेक प्रविष्ट है६२९१+९=६३०० । इस प्रकार अल्पब हुत्वप्ररूपणा समाप्त हुई। यतः एक समयप्रबद्ध की रचना इस प्रकारकी होती है, अत एव कर्मस्थितिके प्रथम समयप्रबद्धके संचयका भागहार अंगुलका असंख्यातवां भाग है, यह सिद्ध होता है। प्राभूतमें अग्रस्थितिप्राप्त द्रव्यका कथन करते समय कर्मस्थिति में निक्षिप्त हुए समयप्रबद्ध प्रमाण द्रव्यका काल सान्तरवेदककाल और निरन्तरवेदककालके रूपमें दो प्रकारसे जाता हुआ बतलाया है। उनमेंसे बन्धसमयसे लेकर एक भावलिके पश्चात् प्रत्येक समयप्रवद्ध अपवर्तित होकर नियमसे वेदा जाता है, जो कि इसके आगे पश्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र काल तक नियमसे निरन्तर वेदा जाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001404
Book TitleShatkhandagama Pustak 10
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1954
Total Pages552
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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