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छक्खंडागमे यणाखंड
[ ४, १, ४.
. परमोहिउक्कस्सखेत्तं तेउक्काइयकायट्ठिदीदो थोवं, ते उक्काइयअद्धच्छेदणेहिंतो दुगुणसादिरेयमेत्तवग्गसलागत्तादो । उक्कायकायट्ठिदी बहुआ, तेउक्काइयरासीदो उवरि असंखेज्जलोगमेत्तवग्गट्ठाणाणि गंतूणुप्पण्णवग्गसलागत्तादो । एदं परमोहिउक्कस्सखेत्तं तेउक्काइयकायट्ठिदीदो हेट्ठा असंखेज्जलागमेत्तवग्गट्टाणाणि ओसरिय ट्ठिदं आवलियाए असंखेज्जदिभागगुणिदपरमोहिचरिमअणवट्ठिदगुणगारेण गुणिदे ओहिणिबद्धखेत्तं ण उप्पज्जदि, परमोहिखेत्तस्स असंखेज्जदिभागेणेदेण गुणगारेण परमोहिखेत्ते गुणिदे तदुवरिमवग्गस्स वि अप्पत्तदो । पुणो द्दहो गुणगारो होदित्ति वुत्ते वुच्चदे - परमोहिखेतेण ते उक्काइय कायट्ठिदि-ओहिणिबद्धखेत्तण्णोण्णगुणगारवग्गद्धछेदणयसलागाणमुवरि असंखेज्जलेोगमेत्तवग्गट्ठाणाणि गंतूण दिओहिणिबद्धखेत्तम्मि भागे हिदे लद्धमेत्तो गुणगारो होदि, ण अण्णा; उत्तदोसप्प संगादो । परमोहिकालं पि तप्पा ओग्गअसंखेज्जरूवेहि गुणिदे सव्वा हिउक्कस्सकालो हो । एसो एक्को चेव लोगो, परमोहि सव्वोहीओ असंखेज्जलोगे जाणंति त्ति कथं घडदे ? ण एस दोसो, सव्वो पोग्गलरासी जदि' असंखेज्जलोगे आबूरिऊण अवचेदितो
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वधिका उत्कृष्ट क्षेत्र तेजकायिक जीवोंकी कार्यस्थिति से स्तोक है, क्योंकि, तेजकायिक राशिके अर्धच्छेदोंसे कुछ अधिक दुगुणे प्रमाण उसकी वर्गशलाकायें हैं। तेजकायिकों की कायस्थिति बहुत है, क्योंकि, तेजकायिक राशिसे ऊपर असंख्यात लोक मात्र वर्गस्थान जाकर उसकी वर्गशलाकार्ये उत्पन्न होती हैं । तेजकायिकों की कार्यस्थिति से नीचे असंख्यात लोक - मात्र वर्गस्थानों को छोड़कर स्थित इस परमावधिके उत्कृष्ट क्षेत्रको आवलीके असंख्यातवें भागसे गुणित परमावधिके अन्तिम अनवस्थित गुणकारसे गुणा करनेपर अवधिनिबद्ध क्षेत्र नहीं उत्पन्न होता, क्योंकि, परमावधिके क्षेत्रके असंख्यातवें भाग रूप इस गुणकारसे परमावधिके क्षेत्रको गुणित करनेपर उसका उपरिम वर्ग भी नहीं उत्पन्न होता ।
शंका- तो फिर कितना गुणकार है ?
समाधान - ऐसा पूछने पर कहते हैं - परमावधिके क्षेत्रका तेजकायिकों की कायस्थिति और अवधिनिबद्ध क्षेत्रके परस्पर गुणकारके वर्गकी अर्धच्छेद शलाकाओंके ऊपर असंख्यात लोक मात्र वर्गस्थान जाकर स्थित अवधिनिबद्ध क्षेत्र में भाग देनेपर जो लब्ध हो उतने मात्र गुणकार होता है, अन्य नहीं; क्योंकि, उक्त दोषका प्रसंग आता है।
परमावधिके कालको उसके योग्य असंख्यात रूपोंसे गुणा करनेपर सर्वावधिका उत्कृष्ट काल होता है ।
शंका- यह एक ही लोक है, परमावधि और सर्वावधि असंख्यात लोकोंको जानते हैं, यह कैसे घटित होता है ?
समाधान - यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, यदि सब पुद्गल राशि असंख्यात
१ प्रतिषु ' जदि वि ' इति पाठः ।
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