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________________ १, १, ७१.] कदिअणियोगद्दारे करणकदिपरूवणा [ ३५५ णेरइएसु अत्थि वेउव्वियसंघादणकदी संघादण-परिसादणकदी च [:], तेजा-कम्मइयाणं संघादण-परिसादणकदी च' । णेरइएसु वेउब्बियपरिसादणकदी पत्थि, पुर्धविउव्वणाभावादो। एवं सत्तसु पुढवीसु । सव्वदेवाणं एवं चेव । देवेसु पुधविउव्वणसंभवादो वेउब्धियपरिसादणकदी किण्ण भण्णदे ? ण, मूलसरीरमछंडिय विउव्वमाणाणं देवाणं सुद्धपरिसादणाणुवलंभादो। तिरिक्खगदीए तिरिक्खाणं पंचिंदियतिरिक्खतिगस्स य अस्थि ओरालिय-वेउब्धियतिण्णि-तिण्णिपदा तेजा कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी च १३ । पंचिंदियतिरिक्खअपज्जत्तएसु अस्थि ओरालियसंघादणकही संघादण परिसादणकदी तेजा-कम्मइयसंधादणपरिसादणकदी च। -४४४ अशुद्ध प्रतीत होता है । आगे गति मार्गणामें ऊपरका अंक गतिसूचक, मध्यका अंक शरीर. सूचक और नीचे का अंक कृतियाका सूचक रहा होगा। नरकगतिमें नारकियोंमें वैक्रियिकशरीरकी संघातनकृति और संघातन परिशातनकृति होती है। तैजस और कार्मण शरीरोंके संघातन-परिशातनकृति होती है । नारकियों में क्रियिकशरिकी परिशातनकृति नहीं होती, क्योंकि, उनके पृथक् विक्रियाका अभाव है । इस प्रकार सात पृथिवियों में कहना चाहिये। सब देवोंके भी इसी प्रकार ही कहना चाहिये। शंका --देवोंमें पृथक् विक्रिया सम्भव होनेसे चक्रियिकशरीर की परिशांतनकृति क्यों नहीं कही जाती? समाधान नहीं कही जाती, क्योंकि, भूल शरीरको न छोड़कर विकिया करनेवाले देवोंके शुद्ध परिशातनकृति नहीं पायी जाती। तिर्यग्गति तिर्यंचोंके और तीनों पंचेन्द्रिय तिर्यचौके औदारिक व वैक्रियिक शरीरके तीनों तीनों पद है और तैजस व कार्मण शरीरके संघातन-परिशातनकृति है। पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तोंमें औदारिक शरीर की संघातनकृति व संघातन परिशातन कृति होती है और तैजस वकार्मण शरीरकी संघातन परिशातनकृति होती है। + + + 1 अप्रतौ . १ . एवविधा संदृचिरत्र, आ-को पस्योस्त्वा न काचित्संधिः । २ प्रतिषु — पुढ- ' इति पाठः । ३ प्रतिप्वत्र : एवंविधा, मप्रतौ तु ... एवविधा संधिः । + + + +++ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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