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________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध २४५ १५ इस नयकी अपेक्षा संकल्पके १६ कारण कि सादृश्य 99 २४६ ९-११ अजीवाणं च ॥५१॥ जस्स णाम × × × णामकदी णाम । 33 २४८ २४९ २५१ 39 "1 २५२ „ 39 २६४ ७ एतस्स ९ ( द्रव्य व भाव ) ९ घोससमं । एवं णव अहियारा आगमस्स होंति ॥ ५४ ॥ कृतिकी १७ २० S अजीवाणं च जस्स णाम xxx णामकदी णाम ॥ ५१ ॥ बहुत अजीवोंमें जिसका xxx है ॥ ५१ ॥ २१-२२ बहुत अजीवोंके होती है ॥५१॥ जिसका x x x है । २ नैसर्ग ६ १२ 35 २५३ २ विट् २५५ ४ दावाग्नि २५६ १७ मनुष २५९ ६ - मिच्युते २६२ ४ था वा घोषसम । इस प्रकार आगमके नौ अधिकार हैं ॥ ५४ ॥ नन्दा | स्वाभाविक प्रवृत्तिका ११ नये ४ - गमादो । अणुव शुद्धि-पत्र १७ अनुपयुक्त 99 २७५ ३ गणिज्जणाणे २७८ Jain Education International ११ चक्खुदंसणी-तेज २७ क्षुदर्शन एक तो संकल्प के दूसरे सादृश्य पदस्स ( पश्चादानुपूर्वी और यथा तथानुपूर्वी ) घोससमं ॥ ५४ ॥ एवं अहियारा आगमस्स होंति । नन्दा । तत्र नैसंग्य वृत्तिका विण् दवाग्नि शुद्ध द्रव्यकृति की घोससम || ५४ || इस प्रकार आगमके नौ अधिकार हैं । नैसंग्य धनुष - मित्युच्यते वा गये गमादो णयमस्सिदूण अणुव नयकी अपेक्षा अनुपयुक्त १७ , For Private & Personal Use Only णव गणिज्जमाणे चक्खुदंसणी- ओहिदंसणी - केवलदंसणीतेज क्षदर्शनी अवधिदर्शनी, केवलदर्शनी www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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