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२, ११-२, ५१.1 अप्पाबहुगाणुगमे महादंडओ
[५८७ केत्तिओ विसेसो ? बीइंदियपज्जत्ताणमसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो।
पंचिंदियअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥४८॥
को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो । कुदो ? पदरंगुलस्त असंखेजदिभागेण पंचिंदिय अपज्जत्तअवहारकालेण पदरंगुलस्स संखेज्जदिभागमेत्ततेइंदियपज्जत्तअवहारकाले भागे हिदे आवलियाए असंखेज्जदिभागुवलंभादो ।
चउरिदियअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ४९ ॥
केत्तिओ विसेसो ? पंचिंदियअपज्जताणमसंखेजदिभागो । तेसि को पडिभागा? आवलियाए असंखेज्जदिभागो ।
तेइंदियअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ५० ॥
केत्तिओ विसेसो ? चउरिदियअपज्जत्तसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो ।
बेइंदियअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ५१ ॥
विशेष कितना है ? द्वीन्द्रिय पर्याप्त जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? आवलीका असंख्पातवां भाग प्रतिभाग है।
पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥४८॥
गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है, क्योंकि, प्रतरांगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंके अवहारकालसे प्रतरांगुलके संख्यातवें भागमात्र त्रीन्द्रिय पर्याप्त जोवोंके अवहारकालको भाजित करनेपर आवलीका असंख्यातवां भाग उपलब्ध होता है।
चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ४९ ॥
विशेष कितना है ? पंचेन्द्रिय अपर्याप्तोंके असंख्यातवें भागप्रमाण है। उनका प्रतिभाग क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भान प्रतिभाग है।
त्रीन्द्रिय अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥५०॥
विशेष कितना है ? चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तोंके असंख्यातवें भागप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग प्रतिभाग है।
दीन्द्रिय अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ५१ ॥
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