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________________ ५४६) छक्खंडागमे खुदाबंधो [२, ११, ९०. सुहुमतेउकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ९॥ गुणगारपमाणमसंखेज्जा लोगा। तेसिं छेदणाणि वि असंखेज्जा लोगा। सुहमपुढविकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ९१ ॥ केत्तियमेत्तो विसेसो ? असंखेज्जा लोगा सुहुमतेउकाइयाणमसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा । सुहुमआउकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ९२ ॥ केत्तियो विसेसो ? असंखेज्जा लोगा सुहुमपुढविकाइयाणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा। सुहुमवाउकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ९३ ॥ विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा सुहुमआउकाइयाणमसंखेञ्जदिभागो । तेसिं को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा। बादर वायुकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ९०॥ गुणकारका प्रमाण असंख्यात लोक है । उनके अर्धच्छेद भी असंख्यात लोकप्रमाण हैं। सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ९१॥ विशेष कितना है ? सूक्ष्म तेजस्कायिक जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोकप्रमाण है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है। सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ९२ ॥ विशेष कितना है ? सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोकप्रमाण है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है। सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तोंसे सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥ ९३ ॥ विशेषका प्रमाण सूक्ष्म अप्कायिक जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है। उनका प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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