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________________ पृष्ठ नं. १४३ १४९ १५२ षट्खंडागमकी प्रस्तावना क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. | क्रम नं. विषय १६ कायमार्गणानुसार स्वामित्व ८ पृथिवीकायिकादिक जीवोंकी प्ररूपणा ७० कालप्ररूपणा १७ योगमार्गणानुसार स्वामित्व ९सूक्ष्म वनस्पतिकायिकोंसे प्ररूपणामें तीनों योगोंके सूक्ष्म निगोदजीवोंकी पृथक् लक्षण व उनमें क्षायोपशामिक प्ररूपणा भावका निरूपण ७४ १० त्रसकायिकोंकी कालप्ररूपणा १८ वेदमार्गणानुसार स्वामित्व ११ मनोयोगी व वचनयोगी प्ररूपणा जीवोंकी कालप्ररूपणा १९ स्त्रीवेद क्या स्त्रीवेद द्रव्य कर्म १२ काययोगी जीवोंकी काल जनित परिणाम है या नाम: प्ररूपणा कर्मोदयजनित शरीरविशेष ? १३ स्त्रीवेदी जीवोंकी कालप्ररूपणा इस शंकाका समाधान ७९ १४ पुरुषवेदी , २० कषायमार्गणानुसार स्वामित्व १५ नपुंसकवेदी, " २१ ज्ञानमार्गणानुसार स्वामित्व १६ अपगतवेदी ,, , २२ संयममार्गणानुसार स्वामित्व १७ क्रोधादि कषाय युक्त जीवोंकी २३ दर्शनमार्गणानुसार स्वामित्व कालप्ररूपणा प्ररूपणामें दर्शनाभावकी १८ मति-श्रुत अज्ञानी जीवोंकी आशंका और उसका समाधान ९६ । कालप्ररूपणा २४ लेश्यामार्गणानुसार स्वामित्व- १०४ | १९ विभंगशानियों का काल २५ भव्यमार्गणानुसार स्वामित्व १०६ २० मति श्रुतशानियोंका काल २६ सम्यक्त्वमार्गणानुसार | २१ मनःपर्ययज्ञानी और केवल स्वामित्व प्ररूपणा . १०७ २७ संशिमार्गणानुसार स्वामित्व ज्ञानी जीवोंकी कालप्ररूपणा १११ २२ परिहारशुद्धिसंयत व संयता. २८ आहारमार्गणानुसार स्वामित्व ११२ ____संयत जीवोंकी कालप्ररूपणा एक जीवकी अपेक्षा कालानुगम २३ सामायिक-छेदोपस्थापना१ गतिमार्गणानुसार नारकि शुद्धिसंयत और सूक्ष्मसाम्पयोकी कालप्ररूपणा रायिकशुद्धिसंयतोंका काल २ तिर्यंचोंकी कालप्ररूपणा | २४ यथाख्यातविहारशुद्धिसंयतोंकी ३ मनुष्योंकी कालप्ररूपणा १२५ कालप्ररूपणा ४ देवोंकी कालप्ररूपणा .. १२७ | २५ असंयतोंकी कालप्ररूपणा ५ इन्द्रियमाणानुसार एके २६ चक्षुदर्शनी जीवोंका काल न्द्रिय जीवोंकी कालप्ररूपणा १३५ / २७ अचक्षुदर्शनी व अवधि६ विकलेन्द्रियोंकी कालप्ररूपणा १४१ | दर्शनियोंकी कालप्ररूपणा ७पंचेन्द्रियोंकी कालप्ररूपणा १४२ / २८ केवलदर्शनी जीवोंका काल १६१ १६३ १६४ १६८ र : १२१ १७२ १७३ १७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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