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मंगलाचरणम्
पंच-परमेहि-वंदणं (धवलान्तर्गतम् )
सिद्धा दट्ठमला विसुद्ध-बुद्धी य लद्ध-सव्वत्था । तिहुवण-सिर-सेहरया पसियंतु भडारया सव्वे ॥१॥
तिहुवण-भवणप्पसरिय-पच्चक्खवबोह-किरण-परिवेढो । उइओ वि अणत्थवणो अरहंत-दिवायरो जयऊ ॥२॥
ति-रयण-खग्ग-णिहाएणुत्तारिय-मोह-सेण्ण-सिर-णिवहो । आइरिय-राउ पसियउ परिवालिय-भविय-जिय-लोओ ॥ ३॥
अण्णाणयंधयारे अणोरपारे भमंत-भवियाणं । उज्जोओ जेहि कओ पसियंतु सया उवज्झाया ॥ ४ ॥
संधारिय-सीलहरा उत्तारिय-चिरपमाद-दुस्सीलभरा । साहू जयंतु सव्वे सिव-सुह-पह-संठिया हु णिग्गलिय-भया ॥५॥
जयउ धरसेण-णाहो जेण महाकम्म-पयडि-पाहुड-सेलो। बुद्धिसिरेणुद्धरिओ समप्पिओ पुप्फयंतस्स ॥ ६ ॥)
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