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परिशिष्ट पृष्ठ पंक्ति मुद्रित पाठ
मूडबिद्रीका पाठ ११८ १ साद्यनादीनौपशमिकादीन् साधनादीन् भावान् ११८ १५ सादि और अनादिरूप औपशमिक सादि और अनादि भावोंकी
आदिभावोंकी १२५ ९णेयव्वा
णायव्वा ,, २३ निषेध कर देना
निषेध जानना १४७ १ अभावप्रसंगात्
अभावासंजनात् ,, ५ इति चेन्न
इति चेत् , २२ ऐसी शंका करना ठीक नहीं है, क्योंकि,
क्योंकि, १५६ ६वण्णणीओ
वण्णओ १५८ ५ तेहिंतो
तेहि १८६ ५ तदेकत्वोपपत्तेः
तदेकत्वोक्तेः , २० एकता बन जाती है।
एकता कही है। २०९ १ प्रतिपादकार्षात्
प्रतिपादनार्षात् २२८ ४ मिश्रणमवगम्यते
मिश्रतेहावगम्यते , १३ जीवोंके साथ मिश्रण
जीवोंके साथ यहां मिश्रण २५४ ९-शक्तर्निमित्तानामाप्तिः , २६ परिणमन करनेरूप शक्तिसे बने हुए परिणमन करनेकी शक्तिकी पूर्णताको
आगत पुद्गलस्कंधोकी प्राप्तिको २५५ २ औदारिकादिशरीरत्रयपरिणाम- औदारिकादिपरिणमनशक्तेर्निष्पत्तिः
शक्त्युपेतानां स्कंधानामवाप्तिः ,, १३ परिणमन करनेवाले औदारिक औदारिक आदि शरीररूप परिणमन करनेरूप
आदि तीन शरीरोंको शक्तिसे शक्तिकी पूर्णताको युक्त पुद्गलस्कंधोंकी प्राप्तिको ४ -ग्रहणशक्त्युत्पत्तेनिमित्तपुद्गल -ग्रहणशक्तनिप्पत्तिः
प्रचयावाप्तिः ,, १६ ग्रहण करनेरूप शक्तिकी उत्पत्तिके ग्रहण करनेरूप शक्तिकी पूर्णताको
निमित्तभूत पुद्गलप्रचयकी प्राप्तिको ,, ६ निमित्तपुद्गलप्रचयावाप्तिः
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