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________________ ३७१] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१, २, १०२. केत्तियमेत्तेण ? बादरणिगोदपज्जत्तमेत्तेण । वणप्फइकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया । केत्तियमेत्तेण ? पत्तेयसरीरपज्जत्तमेत्तेण । सुहुमवणप्फइकाइया विसेसाहिया। वणप्फइकाइया विसेसाहिया । अहवा सव्वत्थोवा बादरणिगोदपज्जत्ता। बादरवणप्फइकाइयपज्जत्ता विसेसाहिया। बादरणिगोदअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा। बादरवणप्फइकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया। बादरणिगोदा विसेसाहिया । बादरवणप्फइकाइया विसेसाहिया। सुहुमवण फइकाइयअपज्जत्ता असंखेजगुणा । णिगोदअपज्जत्ता विसेसाहिया । वणप्फइकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया । सुहुमवणप्फइकाइयपज्जत्ता संखेज्जगुणा । णिगोदपज्जत्ता विसेसाहिया । वणण्फइकाइयपज्जता विसेसाहिया। सुहुमवणप्फइकाइया विसेसहिया । णिगोदा विसेसाहिया । केत्तियमेत्तेण ? बादरणिगोदमेत्तेण । वणप्फइकाइया विमेसहिया । केत्तियमेत्तेण? पत्तेयसरीरवणप्फइकाइयमेत्तेण । अधिक हैं ? बादर निगोद पर्याप्तोंका जितना प्रमाण है तन्मात्र विशेषसे अधिक हैं। घनस्पतिकायिक पर्याप्त जीव निगोद पर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं। कितनेमात्र विशेषसे अधिक हैं ? प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका जितना प्रमाण है तन्मात्र विशेषसे अधिक हैं। सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव घनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं । वनस्पतिकायिक जीव सूक्ष्म वनस्पतिकायिकोंसे विशेष अधिक है। अथवा, बादर निगोद पर्याप्त जीव सबसे स्तोक हैं। बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीव इनसे विशेष अधिक हैं । बादर निगोद अपर्याप्त जीष बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे असंख्यातगुणे हैं । बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त जीव बादर निगोद अपर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं। बादर निगोद जीव बादर घनस्पतिकायिक अपर्याप्तोंसे विशेष अधिक है। बादर वनस्पतिकायिक जीव बादर निगोदोंसे विशेष अधिक हैं । सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त जीष बादर वनस्पतिकायिकोंसे असंख्यातगुणे हैं । निगोद अपर्याप्त जीव सूक्ष्म घनस्पतिकायिक अपर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं। घनस्पतिकायिक अपर्याप्त जीव निगोद अपर्याप्तोसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म धनस्पतिकायिक पर्याप्त जीव वनस्पतिकायिक अपर्याप्तासे संख्यातगुणे हैं । निगोद पर्याप्त जीव सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तोसे विशेष अधिक हैं। वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीव निगोद पर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं । सूक्ष्म घनस्पतिकायिक जीव वनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं। निगोद जीव सूक्ष्म वनस्पतिकायिकोंसे विशेष अधिक हैं। किसनेमात्र विशेषसे अधिक हैं ? बादर निगोदोंका जितना प्रमाण है तन्मात्र विशेषसे अधिक हैं। वनस्पतिकायिक जीव निगोद जीवोंसे विशेष अधिक हैं। कितनेमात्र विशेषसे भधिक हैं ? प्रत्येकशरीर वनस्पतिकायिकोंका जितना प्रमाण है तन्मात्र विशेषसे अधिक हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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