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४८]
[१. २, ५.
छक्खंडागमे जीवट्ठाणं अवणयणरासिगुणिदो अवणयणेणूणएण लद्धेण । भजिदो हु भागहारो पक्खेवो होदि अवहारो ॥ २९॥
ल
उदाहरण ( बीजगणितसे) --
भज्यमान राशि-न, भाजक-स= अx ब लब्ध-क,
शेष-र (वृद्धिरूप). लब्ध-(क+१), शेष-र' (हानिरूप).
न%(अ-ब)क+र-(१) और न =(अx ब) (क+१)- र'--(२) (१) से न = 4 x क + वृद्धिरूप.
(२) से नब (क+१)---हानिरूप. ( अंकगणितसे)
भज्यमान राशि-२६३, हार-७२, हारांतर-९; २६३.४७ पूर्व लब्ध-३
भाज्य शेष-४७ = ८४३+8" (हारांतरहृतहार-८).
= २९ +:-(वृद्धिरूप).
10.53
४७
२६३ = ८४४ -२५ = ३० - ३ ( हानिरूप). भागहारको अपनयन राशिसे गुणा कर देने पर और अपनयनराशिको लब्धराशिमेंसे घटाकर जो शेष रहे उसका भाग दे देने पर जो लब्ध आता है वह भागहारमें प्रक्षेपराशि होती है ॥ २९॥ उदाहरण ( बीजगणितसे )-- क, इष्ट ख, अपनयन राशि क-ख
___ ब+ व (क-ख) = ब क प्रक्षेप अवहार ( अंकगणितसे )-भज्यमान ३६, भाजक ४; इष्ट ६, ३६:४२,९ - ६-३ अपनयन राशि २२ प्रक्षेप भागहार
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