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कुणदि ।
बारहवें श्रुता दृष्टिवादका परिचय
९ उबक्कम - उबक्कमेत्ति अणियोगद्दारस्स चत्तारि अहियारा - बंधणोवक्कमो उदीरणोवक्कमो उवसामणोवक्कम विपरिणामोवक्कमो चेदि । तत्थ बंधोवक्कमो बंधविदियसमय पहुडि अgoणं कम्माणं पयडि-हिदि- अणुभाग-पदेसा बंधवण्णणं कुणदि । उदीरणोवक्कमो पर्यीडदि - अणुभाग पदे साणमुदीरणं परुवेदि । उवसामणोवक्कमो पसत्थोवसामणमप्पसस्योत्रसामणाणं च पयडि-हिदि- अणुभागपदेसभेदभिण्णं परुवेदि । विपरिणाममुवकम पड - ट्ठदि - अणुभाग-पदेसाणं देसणिज्जरं सयलणिज्जरं च परूवेदि ।
१० उदय - उदयाणियोगद्दार अणुभाग - पदे सुदयं परुवेदि ।
पयडि-द्विदि
११ मोक्ख - मोक्खो पुण देस-सयलणिज्जराहि परपयडिसंकमोकडणुक्कड्डण - अद्धडिदिगलपयडि-हिदि- अणुभाग-पदेसभिणं मोक्खं वदिति अत्थभेदो ।
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१२ संकम-संकमेत्ति अणियोगद्दार पयडि-हिदिअणुभाग-पदेससंकमे परूवेदि ।
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अनुभागकी विशेषतासे वैशिष्टयको प्राप्त हैं ऐसे कर्मवर्गणास्कन्धों के प्रदेशोंका प्ररूपण करता है ।
९ उपक्रम - उपक्रम
अर्थाधिकार के चार
अधिकार हैं बन्धनोपक्रम, उदीरणोपक्रम, उपशामनोपक्रम और विपरिणामोपक्रम | उनमें से बन्धनोपक्रम अधिकार बन्ध होने के दूसरे समयसे लेकर प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेशरूप ज्ञानावरणादि आठों कर्मो के बन्धका वर्णन करता है । उदीरगोपक्रम अधिकार प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेशोंकी उदीरणाका कथन करता है । उपशामनोपक्रम अधिकार, प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेशके भेदसे भेदको प्राप्त हुए प्रशस्त पशमना और अप्रशस्तोपशमनाका कथन करता है । विपरिणामोपक्रम अधिकार प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेशोंकी देशनिर्जरा और सकलनिर्जराका कथन करता है ।
१० उदय - उदय अर्थाधिकार प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेशोंके उदयका कथन करता है ।
११ मोक्ष - मोक्ष अर्थाधिकार देशनिर्जरा और सकलनिर्जरा केद्वारा परप्रकृतिसंक्रमण, उत्क र्षण अपकर्षण और स्थितिगलनसे प्रकृतिबन्ध, स्थितिबन्ध, अनुभागबन्ध और प्रदेशबन्धका आत्मासे भिन्न होना मोक्ष है, इसका वर्णन करता है ।
१२ संक्रम-संक्रम अर्थाधिकार प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेशोंके प्ररूपण करता है ।
संक्रमणका
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